खुद से मिल लो आज
खुद से मिल लो आज
खुद से मिल लो आज
क्यूँ इतने उदास हो
मतलब की कर लो बात
क्यूँ इतने निराश हो
आ जायेगी समझ
गर आँख खोल लो
बन जायेगी हर बात
क्यूँ इतने खरास हो !
मुकद्दर समझ के अपने
मन को ना बाँध लो
दरिया क्या, तूफान क्या
समन्दर को नाप लो
जब भी मिलोगे खुद से
तब मान जाओगे
ये आग हो य़ा पानी
क्यूँ इतनी प्यास हो !