अब कोई नहीं होता
अब कोई नहीं होता
अब कोई नहीं होता हमराज
सब कुछ भी है कि जी लेंगे
चाहे हो फटे पर सी लेंगे
क्यूँ की हम न हैं सरताज !
दुनिया कितनी रंगीन भले
पर जीना है तो संगीन तले
छोड़े हमने सारे गम फिर
पर रहना है गमगीन तले !
जाओ तुम भी रसिया हो
मेरी बस्ती के मतवाले
तुमको चाहूँगा जी भर के
मरना टले या ना टले !!