मैँ बार बार
मैँ बार बार
मैं बार बार निराश
क्यूँ होता हूँ
सच अद्भुत है हताश
क्यूँ होता हूँ
ऐसा सोचा न था
ये दिन होगा कभी
मैं सनातनी उदास
क्यूँ होता हूँ !
ये न हो तेरे साथ कभी
जैसा अब होता है
विश्वास का गला घोटो
फिर क्यूँ मैं रोता हूँ !
आओ मिलकर बैठे
आगे की अब फिर सोचे
कंस रावण दुर्योधन सम
घाती न मैं होता हूँ !!