सागर से उठकर जो लहरें साहिल को आ छू जाती हैं, धीरे से उमंगे भी उठकर मेरे दिल के तार ब सागर से उठकर जो लहरें साहिल को आ छू जाती हैं, धीरे से उमंगे भी उठकर मेरे दिल ...
बोल नहीं पाता है वह खेल नहीं पाता है वह बोल नहीं पाता है वह खेल नहीं पाता है वह
ये बेईमान बस हमको रात-दिन देश मे रहकर यूँही लूटता रहा ये बेईमान बस हमको रात-दिन देश मे रहकर यूँही लूटता रहा
अंदर अंदर रोता रहता बाहर मगर हँसाता जोकर अंदर अंदर रोता रहता बाहर मगर हँसाता जोकर
तब उसका ह्रदय भी व्याकुल होकर अपनी दशा पर रोता है तब उसका ह्रदय भी व्याकुल होकर अपनी दशा पर रोता है
मैं रोता रहा लोग हँसते रहे, मैं रोता रहा लोग हँसते रहे,