पेशे से अवकाश प्राप्त पॅथॉलॉजिस्ट
pathlogist हूं। साहित्य में रुचि शुरू से ही रही। मूर्धन्य साहित्यकारों को पढ़ने और कुछ कुछ समझने के अवसर निरंतर मिलते रहे। लेखन की ओर रुझान कॉलेज के दिनों से ही रहा। गद्य लेखन हालांकि नहीं के बराबर रहा, कविता में विशेष रुचि रही। अब तक तीन कविता संग्रह (... Read more
पेशे से अवकाश प्राप्त पॅथॉलॉजिस्ट
pathlogist हूं। साहित्य में रुचि शुरू से ही रही। मूर्धन्य साहित्यकारों को पढ़ने और कुछ कुछ समझने के अवसर निरंतर मिलते रहे। लेखन की ओर रुझान कॉलेज के दिनों से ही रहा। गद्य लेखन हालांकि नहीं के बराबर रहा, कविता में विशेष रुचि रही। अब तक तीन कविता संग्रह ( डायरी के पन्ने, सबरंग और बया का घर ) प्रकाशित। मातृभाषा तेलुगु और राष्ट्रभाषा हिन्दी के अलावा मराठी और अंग्रेज़ी पर भी अच्छी पकड़ है। गुजराती, कन्नड़ और बंगाली पढ़ समझ लेती हूं। कला और प्रकृति से जुड़े रहना पसंद करती हूं। Read less