Dr. Anu Somayajula

Abstract

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Dr. Anu Somayajula

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अलक २ - भागवती

अलक २ - भागवती

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बचपन से कानी, करमजली, अभागी सुनती आ रही थी। दादी मां को कोसतीं, मां अपनी किस्मत को रोती। पिता उसकी शादी में आने वाली संभावित अड़चनों में उलझे रहते।

 लोग कहते जाने क्या लिखा कर आई है ! एक नपुंसक आक्रोश उमड़ता जिस तिस पर। शुभचिंतक आगे आए, आनन फानन में शादी तय कर दी गई। क्या हुआ जो दूल्हा दुहाजू है, अधेड़ विधुर है, दो बच्चों का बाप है! खाने पहनने की कभी कोई कमी न होगी। और क्या चाहिए ?

पल भर में अभागी भागवती हो गई।

  


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