अलक १ - पका पत्ता
अलक १ - पका पत्ता
सुबह कुछ लोग दादा जी को सोते में लेकर चले गए। कोई कह रहा था 'पका पत्ता था, झड़ गया ' । घर की औरतें कुछ देर रोती रहीं फ़िर अपने-अपने कामों में लग गईं। शाम तक सब लौट आए सिवाय दादा जी के। उनके थके, उदास चेहरे देख कुछ पूछ न सका।
हवा के साथ आंगन में उड़ कर आए पीले पत्ते को देख मुन्ना ख़ुशी से नाच उठा ' दादा जी आ गए, दादा जी आ गए...!'