Dr. A. Zahera

Children Stories Inspirational

5.0  

Dr. A. Zahera

Children Stories Inspirational

मगहर की यात्रा

मगहर की यात्रा

7 mins
564


 प्रेमभाव एक चाहिए, भेष अनेक बनाए।

 चाहे घर में वास कर, चाहे बन को जाए।।


 "सर इसका मतलब क्या है और ये कौनसी भाषा है?" राहुल ने बहोत जिज्ञासा से पूछा।


"अभी समझाता हूं।" कहकर शर्मा सर ने समझाना शुरू किया।

"चाहे लाख तरह के भेष बदलें।घर में रहें, चाहे वन में जाएं, सिर्फ प्रेम की भावना होनी चाहिए । यानी संसार में किसी भी स्थान पर, किसी भी स्तिथि में रहें प्रेम भाव से रहना चाहिए।"


आगे उन्होंने राहुल को बताना जारी रखा, "ये संत कबीर दास का दोहा है। कबीर दास की भाषा में कई भाषाओं के शब्दों का उपयोग हुआ है जिसे पंचमेल खिचड़ी या फिर सुधककड़ी भाषा कहा जाता है।"


"वेरी इंटरेस्टिंग सर!" कहते हुए सौरभ ने और जानने की इच्छा जताई। "और ये कौन कौन सी भाषा का मिश्रण है सर?" 


"हिंदी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधि और पंजाबी भाषा के शब्दों का उपयोग हुआ है।" शर्मा सर ने बताया।


"सर ये संत कबीर कौन थे?" शिफा ने पूछा।

तब शर्मा सर ने कहा की "अगर सब को संत कबीर के बारे में जानना है तो इस शनिवार हम सब मगहर चलेंगे, वहां आप सबको बहुत सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। तो बोलो सब तैयार हैं? और हां ये तुम्हारे हिंदी प्रोजेक्ट का हिस्सा भी होगा।"

"जी सर" कहते हुए सब ने एक साथ ज़ोर से हामी भर दी।

शर्मा सर प्रिंसिपल के पास गए और उन्होंने मगहर जाने के लिए उनसे अनुमति ली और साथ ही कुछ राशि भी सैंक्शन करवाई जिससे सफर के रास्ते में कोई परेशानी न हो।


शनिवार का दिन आ गया। सारे बच्चे जो कक्षा नौ के थे, तैयार हो कर स्कूल पहुंच गए। स्कूल की बस में सब बच्चे शर्मा सर के साथ बैठ गए। सर ने सबको इस यात्रा की अहमियत समझाई और हर चीज़ को ध्यान से देखने और समझने को कहा।


बस स्कूल कैंपस से सफर के लिए चल पड़ी। सर ने बताना शुरू किया "बच्चों मगहर हमारे शहर मऊ से १३०-१४० की. मी.दूर है। ये संत कबीर का निर्वाण स्थल है जो राष्ट्रीय मार्ग पर बस्ती से गोरखपुर के रास्ते में संतकबीर नगर में पड़ता है।"


सारे बच्चे बड़े ध्यान से सर की बातों को सुन रहे थे। उन्होंने इस टेक्नोलॉजी के दौर में ये कुछ नया सुना था। और अब बहोत कुछ जानने की कोशिश कर रहे थे जो वास्तविकता में बहुत पुराना था और उनकी पहचान एक गुज़रे युग से करा रहा था। शर्मा सर ये देख कर बड़े अचंभित हो गए जब उन्होंने बच्चों की जिज्ञासा का बढ़ता हुआ स्तर देखा।


बस तेज़ रफ्तार से लंबी चौड़ी सड़क पर भाग रही थी। सड़क के दोनो तरफ हरे भरे खेत, जिनपर सुनहरे रंग की धूप की चादर पड़ी थी, बड़े बड़े ऊंचे पेड़ों से धूप छनती हुई ज़मीन के ज़र्रे ज़र्रे को चूम रही थी। चिड़ियों की चहचहाहट माहौल को और खुशगावर बना रही थी। बच्चे इन नज़ारों को देख कर बहोत खुश हो रहे थे। चलते चलते खेतों के किनारे एक छोटी सी चाय की टपरी के पास बस रुक गई। शर्मा सर ने सबको मिट्टी की कप यानी कुल्हड़ में चाय पिलाई और फिर आगे को बढ़ चले।


"सर ! मगहर और संत कबीर के बारे में और कुछ बताइए ना।" सौम्या ने कहा।

तब शर्मा सर ने बताना शुरू किया, "संत कबीर पंद्रहवीं शताब्दी के एक कवि और सूफी संत थे। इनकी एक मज़ार और समाधि दोनो मगहर में है और एक दूसरे के आमने सामने है। 

मगहर को पहले मार्ग हरण, कहा जाता था जिसका मतलब किसी को भी रास्ते से अगवा कर लेना है। इसकी वजह से कोई भी वहां आना नहीं चाहता था। वहां के डाकू लोगों को लूट लेते थे।


एक बार की बात है, एक साधु वहां से गुज़र रहे थे की तभी डाकुओं की टोली ने उन्हें खूब परेशान किया और लूट लिया। इसका नतीजा ये हुआ की साधु ने गुस्से में आकर उस जगह को एक श्राप दे दिया। वो श्राप ये था की अब इस जगह की धरती हमेशा बंजर रहेगी जिससे यहां कुछ नहीं उपजेगा और कोई किसी को लूट न सकेगा।

पुराने समय से लोगों का मानना है की संत कबीर ने मगहर में एक जगह अपनी धूनी रमाई थी। उस समय मगहर भीषण अकाल से गुज़र रहा था। लोग बहुत परेशान थे। और तब वहां बारिश हुई और बड़े चमत्कारी ढंग से एक पानी का स्त्रोत निकल आया जिसने समय के साथ साथ एक तालाब का रूप ले लिया। उस तालाब से थोड़ी दूर हट कर कबीर ने एक आश्रम स्थापित किया। तबसे मगहर श्राप मुक्त हो गया।"

"सर ...मेरे पास एक सवाल है।" "क्या सवाल है आनंद पूछो?"

"संत कबीर तो बड़े सिद्ध पुरुष थे फिर वो ऐसी श्रापित जगह पर क्यों आए?"

"बहुत सही सवाल किया तुमने आनंद। तो इसका जवाब ये है की वो इस मिथ्य को मिटाना चाहते थे की काशी में ही मरने पर मोक्ष मिलता है। उस समय लोगों के मन की धारण यही थी की जो भी मगहर में अपने प्राण त्यागेगा वो नरक में जायेगा और अगले जनम वो गधे के रूप में पैदा होगा। इसी मान्यता को तोड़ने के लिए संत कबीर मगहर आए थे।"


"हाउ इंटरेस्टिंग " शिफा ने आंख बड़ी करते हुए कहा।


 "तभी तो कबीर कहते हैं....

क्या कासी क्या ऊसर मगहर, राम ह्रदय बस मोरा

जो कासी तन तजै कबीरा रामे कौन निहोरा।।

मतलब काशी हो या मगहर का ऊसर मेरे लिए दोनो राम हृदय जैसे हैं, क्योंकि मेरे हृदय में राम बसते हैं। अगर कबीरने मोक्ष के लिए काशी में अपने शरीर का त्याग किया, तो फिर राम पर मेरे विश्वास का क्या होगा?" 

शर्मा सर ने बहुत बारीकी से कबीर के दोहे को समझाते हुए कहा और बातों बातों में बस मगहर पहुंच गई।


२७ एकड़ में फैले कबीर चौरा परिसर में सूफी संत कबीर की एक तरफ मज़ार और दूसरी तरफ समाधि देख कर सब आश्चर्य में पड़ गए। 


आनंद ने फिर पूछा, " सर ये मज़ार और समाधि दोनो ही क्यों बनाई गई ?"


तब सर ने फिर एक बात बताई " संत कबीर की जब मृत्यु का समय पास आया तब उन्होंने अपने शिष्यों को इसकी जानकारी दी और फिर अपने प्राण त्याग दिए।

कबीर के शिष्यों में हिंदू मुसलमान दोनो थे। हिंदू चाहते थे की कबीर के शरीर को जलाया जाए और वहीं मुसलमान चाहते थे की दफनाया जाए। लेकिन सारे मतभेद का समाधान निकल आया । बड़े चमत्कारी ढंग से कबीर के मृत शरीर की जगह पर फूल मिले। आधे फूलों से हिंदुओं ने समाधि बनाई और आधे से मुसलमानो ने मज़ार। मज़ार सन् १५१८ ईसवी और समाधि सन् १५२० ईसवी में बनवाई गई है।"

"अरे सौम्या देखो समाधि के पास मंदिर भी है। और समाधि के दीवारों पे कबीर के दोहे लिखे हुए हैं।"


शर्मा सर ने बच्चों को दिखाया " देखो बच्चों इस मंदिर के अंदर बाहर जितने दोहे है वो हमारे व्यवहार को दर्शाते हैं। और परिसर में देखो ये प्राचीन कुआं भी है लेकिन इसे ढक कर रखा गया है।"


"सर रियली आज हमने किताब और क्लास से बहार आकर वास्तव में कबीर को पढ़ा और जाना। ये चैप्टर्स हम लोगों को कभी समझ नहीं आते अगर आप हमें यहां नहीं लाते। हमारी धरोहर, हमारी सभ्यता हमारा इतिहास हमलोग के मन से धुंधला रहा है। आज आपने इसको इस यात्रा के माध्यम से साफ किया है।" आनंद ने सर से कहा।

सौरभ ने भी गंभीरता से कहा " सर हमारी जेनरेशन अल्फा जेनरेशन कहलाती है जो सिर्फ सोशल नेटवर्क, ऑनलाइन स्कूल, होम स्कूलिंग को ही अपनी दुनिया समझती हैं, लेकिन जब तक आप जैसे टीचर हमें इस तरह से पढ़ाएंगे तब तक कोई भी जेनरेशन अपने इतिहास और संस्कृति को नहीं भूल पाएगी।"


शर्मा सर ने कहा "इसका मतलब ये हुआ की आज की यात्रा को हम सफल समझ सकते हैं? और क्या क्या सीखा तुमने इस सफर में?"


सौम्या और शिफा ने कहा "सर पुराने ज़माने के लोग पढ़े लिखे न होने के बावजूद आपसी सौहार्द बनाके रखते थे। ये हमारे लिए सबसे बड़ी सीख है।आज के समय में जहां हम चारों तरफ नफरत की लड़ाई देख रहे हैं वहीं मगहर हमारे सामने हिंदू मुस्लिम सौहार्द का उदाहरण बना हुआ है। आज हमने बहुत बातें सीखीं और जानी जो शायद हम किसी और माध्यम से नहीं सीख पाते।"

शर्मा सर आगे बढ़ते हुए बोले "यहां अमी नदी है जिस पर स्वच्छ गंगा योजना के तहत साफ सफाई और सौंदरीकरण का काम किया जा रहा है। अगली बार फिर आयेंगे नए उत्साह और नई क्लास के साथ।"

हंसते खिलखिलाते हुए सब बस में वापसी के लिए रवाना हो गए।


....…



Rate this content
Log in