Dr. A. Zahera

Abstract Drama Inspirational

4.3  

Dr. A. Zahera

Abstract Drama Inspirational

शोर इनसाइड!!

शोर इनसाइड!!

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"गुड मॉर्निंग टीचर्स, कल स्कूल में पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में आप लोग बच्चों और उनके अभिभावक से मानसिक स्वास्थ की बात करेंगे, ये आज के समय में सबसे ज़्यादा ध्यान देने वाली बात है। आज का ये सेशन आपके स्कूल के मैनेजमेंट ने इसलिए रखा है की आपलोग मेंटल वेलनेस की अहमियत को जान लें। आज कल के बच्चे अकेलेपन का शिकार हो चले हैं। घर पर उनका ख्याल रखने वाला कोई नहीं है क्योंकि आज कल की जीवन शैली ही ऐसी हो गई हैं। बच्चे इसी अकेलेपन की वजह से मोबाइल गेम और ग़लत संगति का शिकार हो चुके है जो इनको मानसिक बीमार बना रहा है। पढ़ाई से कोसों दूर जा रहे हैं, उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है। वक्त की अहमियत को समझ नहीं पा रहे हैं वो इसलिए की उनके माता पिता उन्हें वक्त नहीं दे पा रहे। उनको हमें बताना है की बच्चों के लिए अपना समय निकालें, उन्हें ज़्यादा समय के लिए अकेला न छोड़ें। उनके स्वास्थ का ध्यान दें। अपने वर्किंग आवर्स को थोड़ा कम करके फैमिली को टाइम दें खास तौर पर जो माताएं हैं उन्हें इस पहलू पर सोचने की ज़्यादा ज़रूरत है। इस मुल्क का हर बच्चा स्वस्थ हो ये हमारे ऑर्गेनाइजेशन आशा फाउंडेशन की कोशिश है। आपके मैनेजमेंट ने इसलिए आगामी दो दिन की वर्कशॉप रखी है जिसमें हम आपको ट्रेन करेंगे की बच्चों की मेंटल वेलनेस का ख्याल कैसे रखना चाहिए, और इसकी ट्रेनिंग सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक चलेगी जो दो दिनों के लिए होगी। उम्मीद है सबको समझ आ गई होगी।" सलोनी मैडम ने जो कि आशा फाउंडेशन की फाउंडर थी सारे शिक्षकों को समझाते हुए कहा। "इस मुहिम को कामयाब बनाने के लिए हम सबको एंपैथी यानी समानुभूति को समझते हुए काम करने की ज़रूरत है जिसे आप सभी को आज से बल्कि अभी से शुरू करना चाहिए।" 

"मैडम मैं एक बच्चे को जानती हूं जो अकेलेपन का शिकार है। उसके मां बाप दोनों जॉब में हैं, वो बच्चा दोपहर से शाम तक अकेला रहता है। कई बार उसकी मां उसे दो दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के घर छोड़ देती है अपनी मसरूफियत की वजह से क्योंकि इस बच्चे के पिता दूसरे शहर में काम करते हैं। अब वो बच्चा मानसिक दबाव में हैं। बीमार होता है तो रिश्तेदार, मां की मीटिंग होती है तो रिश्तेदार या घर में अकेलेपन का साथ। इस बच्चे की उम्र केवल दस साल है और वो अवसाद का शिकार होता जा रहा है।" निवेदिता मैम ने अपनी बात रखी। सलोनी मैम ने कहा "ये तो बहुत खराब स्थिति है अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चा हाथ नहीं आयेगा। ऐसे बच्चों को बहुत खयाल की ज़रूरत है। पिता नहीं रह सकते साथ तो मां को समय देना ज़रूरी हो गया है। आप जानती हैं उसकी मां को?" "जी हां !मैं ही उसकी मां हूं। आप ने अभी समानुभूति की बात की तो मैंने ये बात कही।" इतना सुनते ही सलोनी मैम ने कहा की आप कैसे छुट्टी ले सकती हैं आप तो टीचर हैं और यही समझाने के लिए तो वर्कशॉप रखी गई है।"


सब टीचर्स ने एक दूसरे की तरफ देखा और आंखों ही आंखों में कहा की ये शोर हमारे अंदर हमेशा चिल्लाता रहेगा लेकिन उसे चुप करने के लिए कोई वर्कशॉप और कोई एंपैथी नहीं है।



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