Dr. A. Zahera

Drama Romance

4.5  

Dr. A. Zahera

Drama Romance

तुम्हीं मेरे सच्चे हमसफर हो !

तुम्हीं मेरे सच्चे हमसफर हो !

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राहुल, सलोनी,समीर रूपाली, अमन और अमित सब एक ही कॉलेज में सेकंड ईयर के छात्र थे। "यार आज हिंदी दिवस है और कॉलेज में दोहा प्रतिस्पर्धा है। तुम लोगों में से कौन कौन भाग ले रहा है?" अमन ने बड़ी उत्सुकता से पूछा।

"समीर का नाम दे दो जाके"। राहुल ने अमन को आदेश देते हुए कहा। वैसे भी जब समीर दोहा कहता है तो उसकी बात ही अलग होती है उसके टक्कर का इस कॉलेज में अभी तक कोई नहीं है। चल जा जाके समीर का नाम दे दे चुपचाप।" 

"लेकिन दूसरा नाम भी तो होना चाहिए न, समीर के अलावा किसी और का नाम नहीं है लिस्ट में।" अमन ने बड़े ताज्जुब से पूछा।

दोहावली प्रतियोगिता का शुभारंभ होने वाला था। सारा ऑडिटोरियम छात्रों से खचाखच भरा हुआ था। सबको यही लग रहा था की समीर के होते हुए कौन मैदान में आयेगा?तभी मंच से दूसरे प्रतिभागी के लिए ऐलान होने लगा। भीड़ में से एक बड़ी मीठी आवाज़ उभर कर आई," मैने इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपना नाम दर्ज कराया है। मेरा नाम सुरीली है, मैं सेकंड ईयर की छात्रा हूं।" 

सुरीली को देखते ही समीर की हंसी निकल गई। मगर सुरीली का कॉन्फिडेंस बरकरार रहा। दोहावली की शुरूआत समीर से हुई।

रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय

टूटे से फिर ना जुड़े जुड़े गांठ परि जाये।।

सुरीली का अंदाज उसकी मीठी आवाज़ सुन कर सब मंत्र मुग्ध हो गए। आखरी बारी सुरीली की आई तो उसने अपनी बारी में अंतिम दोहे को गाते हुए जवाब दिया।

रहिमन खोजे ईंख में जहां रसनि की खानि

जहां गांठ तहं रस नहीं यही प्रीति में हानि।

(प्रेम मीठा रसपूर्ण होता है पर प्रेम में छल की गांठ रहने पर वह प्रेम नहीं कहलाता है।)

अंतिम दोहे को सुनकर समीर ने जब सुरीली की आंखों में देखा तो उसे अपने लिए उन आंखों में शिकायत दिखाई दी।उसे लगा की इन डोहों के माध्यम से वो कुछ कहना चाह रही है। 

प्रतियोगिता का समापन हुआ और सुरीली ने जीत अपने नाम दर्ज करा ली। समीर को न जाने क्यों अपने हारने का कोई दुख नही था। वो तो सुरीली की आवाज़ और सुंदरता में ही कहीं खो गया था।

सुरीली को जीत की बधाई देते हुए उसने आखिर पूछ ही लिया, "इस साल आई हो कॉलेज में? पहले तो मैंने तुम्हे नही देखा।" सुरीली ने बताया की उसके पिता का इस शहर में स्थानांतरण होने के कारण उसे इस कॉलेज में एडमिशन लेना पड़ा और उसे आए अभी कुछ ही दिन हुए हैं। समीर ने अपना परिचय देते हुए उसके आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाया। सुरीली ने भी समीर से हाथ मिलाते हुए अपने बारे में बताया।

सुरीली पढ़ाई में भी बहोत होनहार थी। अपने पिता का सपना पूरा करना ही उसका लक्ष्य था। हर दिन क्लास करके वो चुपचाप लाइब्रेरी में आ जाती और किताबों में कहीं खो जाती। समीर भी अक्सर लाइब्रेरी जाया करता। किताबों के पन्ने पलटते हुए कभी कभी सुरीली को देखा करता। 

एक दिन राहुल और अमन क्लास में रूपाली से कहते हैं "यार टीचर्स डे कुछ दिन में आनेवाला है उसकी तैयारी हम सेकंड ईयर वालों को ही करनी है। टीचर्स के लिए कार्ड और गिफ्ट तुम लड़कियों को बंदोबस्त करना है और खाने का इंतजाम हम लड़कों को। बोलो हो जायेगा न?" राहुल ने रूपाली से पूछा तो उसने हां में जवाब दिया। क्यों न हम कार्ड्स की जिम्मेदारी सुरीली को दे दें वो आसानी से ले आएगी क्योंकि उसके घर के आस पास कई दुकानें हैं। सुरीली ने भी अनमनी सी हामी भर दी। शाम को क्लास खत्म करके जब सुरीली कॉलेज से घर के लिए निकली तब समीर ने उस से पूछा की क्या रूपाली ने उसे कोई काम दिया है? इसपर सुरीली ने हां में सिर हिलाते हुए कहा " हां समीर देखो ना मुझे कोई आइडिया नही है कार्ड्स के बारे में मैं इस शहर में नई हूं लेकिन मैं रूपाली को मना नहीं कर पाई।" "क्या मैं तुम्हारे साथ चलूं? मैं कार्ड्स दिलाने तुम्हारी मदद कर दूंगा।" समीर ने सुरीली के साथ चलने का आग्रह करते हुए कहा।

हां ज़रूर इसी बहाने मैं भी यहां के बारे में थोड़ा बहोत जान लूंगी। पूरी शाम दोनो कई दुकान की खाक छानते रहे लेकिन मनपसंद कार्ड उन्हें नहीं मिला। लेकिन ये शाम दोनो के जीवन में कुछ खास मायने ले आई। समीर और सुरीली इस एक दिन के साथ की वजह से एक दूसरे के करीब आ गए। एक दिन समीर ने सुरीली से अपने दिल की बात कह ही दी। मौका था एनुअल फंक्शन का सभी लड़के लड़कियां सजधज कर कॉलेज पहुंचे। स्टेज पर गाने के कार्यक्रम की प्रस्तुति देने के लिए सब ने सुरीली का नाम सुझाया। सुरीली ने अपनी मीठी आवाज़ में एक बहोत ही प्यारा सा रूमानी गीत गया। समीर उसे प्यार भरी नजरों से देखता रहा और उसे ऐसा करते रोहित ने देख लिया। सुरीली ने जैसे ही अपना गाना खतम किया समीर ने धीरे से सबकी नजरें से छुपाते हुए सुरीली को अपने साथ कॉलेज के टेरेस पर ले गया। वहां उसने सुरीली का हाथ अपने हाथों में लेके उसकी आंखों में आंखें डाले अपने दिल की बात कह डाली। सुरीली भी मन ही मन समीर को चाहने लगी थी। समीर की बातें सुन सुरीली के दिल को धड़कन तेज हो गई और उसने समीर की मोहब्बत को स्वीकार कर लिया। समीर ने बड़े प्यार से उसका माथा चूमा और कभी भी अलग न होने की कसम खाई। दोनो की जोड़ी अब पूरे कॉलेज में मशहूर हो गई। राहुल उन दोनो को साथ देख कर मन ही मन खुश होता। हर दिन वो सुरीली को चिढ़ाता। उससे मज़ाक करता। सुरीली को खुश होता देख उसे भी खुशी होती।

दिन महीने और महीने साल में तब्दील होते चले गए। कॉलेज का सफर भी तै हो चुका था। सबको यही एहसास था की समीर सुरीली की दोस्ती प्यार में बदल गई और अब जल्द ही दोनो शादी के बंधन में बंध जाएंगे। उनको बधाई देते हुए सबने अलविदा कहा लेकिन रूपाली, सलोनी और अमन ने शादी में बुलाने का वादा लेके ही दम लिया।

एक दिन सारे दोस्तों को सुरीली की शादी का न्योता मिला। सब बहोत खुश हुए। सुरीली के माता पिता ने फोन द्वारा ही सबको आमंत्रित किया क्योंकि शादी में वक्त बहोत कम था और तैयारियां बहोत बाकी थीं।

शादी का दिन आ पहुंचा। सारे दोस्त समीर और सुरीली की शादी में शामिल होने के लिए एक साथ पहुंचे। लेकिन ये क्या दूल्हे की जगह राहुल था। अरे समीर कहां है? कहीं हम गलती से तो यहां नही आ गए ऐसा सोचते हुए सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे।तभी मंडप में सुरीली दुल्हन के लिबास में आ पहुंची जी बहोत मुश्किल से चल पा रही थी और उसकी शक्ल बिगड़ी हुई नज़र आ रही थी। सारे दोस्त सकपकाए हुए फेरों के बाद राहुल के पास पहुंचे। तब राहुल ने जो बताया उसे सुन कर सबके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। राहुल ने बताना शुरू किया "शादी तो सुरीली और समीर की ही होनी थी लेकिन आज से तीन महीने पहले दोनो का इतना खतरनाक एक्सीडेंट हुआ की समीर ने मौके पर ही दम तोड दिया और सुरीली के चेहरे पर गाड़ी के शीशे गड गए। उसकी आंख और जान जाने से बच गई। समीर के जाने के दुख से सुरीली बाहर नहीं निकल पा रही थी। मैं उसका दुख कैसे देख सकता था मैं उससे मन ही मन चाहता जो था। लेकिन जब ये जान गया की उसके दिल में समीर है तो मैं पीछे हट गया। सुरीली की खुशी में ही मेरी खुशी है। समीर की जगह तो मैं नहीं ले सकता लेकिन उसकी अमानत का खयाल तो रख सकता हूं।" इतना सब जानने के बाद सारे दोस्त उसपर नाज़ करने लगे। तभी सारी बातें सुन रही सुरीली आंखों में आसूं भरे रोहित के पास आई उसके हाथों को अपने हाथ में लेके चूमा और कहा " राहुल मेरा साथ निभानेवाला तो बीच सफर में मेरा साथ छोड़ गया लेकिन इस कुरूप शकल को सारी जिंदगी अपने जीवन में शामिल करने की हिम्मत और मेरे कठिन सफर को आसान बनाने का वादा करने वाले तुम ही मेरे सच्चे हमसफर हो। तुमने मेरे दिल में समीर से भी ऊंचा स्थान बना दिया है। ये कहके राहुल और सुरीली एक दूसरे के गले लग गए।

ये कहानी छुपे रुस्तम के प्लॉट पर आधारित है। पात्र सुरीली कहानी  संपूर्ण तो कोई भी नहीं।  राहुल कहानी सातों जन्म मैं तेरे साथ रहूंगा  समीर कहानी इरादा बदल गया से लिए गए हैं।


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