Gulshan Khan

Children

4.0  

Gulshan Khan

Children

वो रात

वो रात

2 mins
22.3K


तब नये-नये शहर मे आए थे, इसलिए गाँव की याद आती थी आैर हर साल गर्मियो की छुट्टियाँ गाँव पर ही बिताते थे शहर की भीड़भाड़, धुँआ, शोरोगुल से दुर शान्ति, हरियाली और तारो की छांव में. यहाँ कब दिन बीत जाता कुछ पता ही नही चलता न स्कूल, न ट्यूशन और न टी.वी और नींद भी लम्बी सुकुन भरी आती थी.रोज aकी तरह आज भी छत पर बहुत छहल-पहल थी मानो कोई त्यौहार हो .....सबने खाना कर छत पर ही बिस्तर लगा कर सोने की तैयारी कर ली और मुझे कोने की जगह मिली. आज जब पड़ोसी के  घर गई वो भूत की बाते कर रहे थे लेटते ही वही सब मन मे आ गया इसलिए माँ से कहा मेरे बगल मे सो जाना मुझे डर लग रहा है .....और फिर कब आँख लग गई पता भी न चला..... लेकिन जब देर रात मेरी आँख खुली तो मै सुन्न हो गई जब माँ सामने खाट पर थी तो मेरे बगल मे कौन था???? ये सोचकर मेरे पसीने छुटने लगे....लेकिन मुझे एेसे क्यूँ छु रहा है???? कभी पैरो पर पैर, कभी हाथ और कभी सीने पर हाथ .....ये सब बाते एक दस साल की समझ न पाई और उसे भूत समझ कर पलटकर भी नही देखा जब मेरा दम घुटने लगा तो मै उठकर शौचालय मे चली गई ...आँधे घन्टे बाद जब मम्मी ने दरवाजा खटखटाया तब मै बाहर आई ...उस समय मै माँ से कुछ बोल न पाई ......आज तक समझ न आया क्यो????? पर वो कोई भूत नही था ये बात उस सुबह समझ गई थी जब मैने उन्ही कपड़ो मे अपने घर के एक सदस्य को देखा बस तब से उनके साथ कभी खेला नही.........और ये रिश्ते मेरी समझ से परे हो गये.


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Children