Gulshan Khan

Drama

3.2  

Gulshan Khan

Drama

आज का देवदास

आज का देवदास

3 mins
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आज सभी की नज़रे मुझपर ही टीकी हुई थी, कुछ ज्यादा ही पसन्द है दुल्हन, तभी तो चेहरा इतना चमक रहा है......फिर माँ मेरी नज़र उतारते हुए बोली नज़र न लगा देना मेरे 'राजकुमार' को ....तभी बंटी बोला 'राजकुमार' नही चाची देवदास ,नाम भी भूल गई क्या  बेटे की बहू की आने की खुशी मे.माँ ने उसे डांटते हुए मुझे अपने कमरे मे ले गई ....फिर मैने ही पुछा क्या हुआ माँ? मेरी बात काटते हुए माँ ने पुछा तू उसे भूल तो गया न बेटा.....तभी मै तपाक से बोला माँ बारात का समय हो गया है आैर आप मुझसे ये क्या पूछ रही हो? माँ थोड़ी देर बाद चुप्पी तोड़ते हुए बोली बेटा.... आने वाली बहू को बहुत प्यार करना और खुश रखना. वैसे भी तुमने ही बिना लड़की देखे हाँ बोल दी थी इसलिए मन मे एक डर सा है कि तुम ये रिश्ता निभा पाओगे कि नही.......तभी आवाज़ आई ये देव कहा चला गया. माँ सारी रस्मो के दौरान मेरे करीब रही और मुझे निहारे जा रही थी. मानो मेरे चेहरे पर प्यार को खोने का दुःख तलाश रही हो पर असफल रही. गृहप्रवेश की रस्म के दौरान मेरी नज़रे पारूल से हट नही रही थी आैर माँ की मुझपर से....तभी मैने तय कर लिया माँ को सबकुछ सच सच बता दुँगा. थोड़ी देर बाद जब मै माँ के कमरे मे गया तब भी वह हैरान -परेशान कुछ सोच रही थी ....मुझे देखते ही बोली बेटा समझ नही आ रहा कि तुम....आैर फिर चुप्पी छा गई.....क्या माँ बोलो न....थोड़ी देर बाद माँ ने बोलना शुरू किया कि मुझे तुम्हारी वो बाते अब भी याद है जब तुमने अपने प्यार और उससे शादी करने की बात कही थी लेकिन तुम्हारे पापा ने बिना लड़की देखे साफ इन्कार कर दिया था की हमारे यहा कभी एेसा नही हुआ ...आैर तुमने भी कहा था कि अब जब शादी तय हो जाए तो फोन कर देना आ जाउगा फेरे लेने के लिए इससे ज्यादा और कुछ उम्मीद मत रखना.....लेकिन आज तेरा मुस्कराता चेहरा देखकर लगता है कि तुमने समझोता कर लिया ...काश मै तेरे लिए कुछ कर पाती तो मै तेरी पसन्द की हुई लड़की से ही तेरी शादी करवाती..........तभी माँ की बात काटते हुए मैं बोला माँ मै उसे कभी नही भूल सकता.....आैर अब तो मैं उसे पहले से भी ज्यादा प्यार करने लगा हूूँ......ये क्या कह रहा है बेटा धीरे बोल, कोई सुन लेगा तो बड़ी बद्नामी होगी........माँ क्या मै अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ ....इसमे भी बद्नामी होगी....नही पर शादी के बाद भी किसी और से प्यार करता है इससे तो होगी न बेटा...........माँ दोनो एक ही है .....क्या......????? मतलब???? आज मेरी शादी उसी से हुई जिससे मै प्यार करता हूँ.......माँ मैने उसे भूलने की कोशिश की पर पापा की नासमझ जिद मेरा प्यार समझने को तैयार न हुआ और फिर मैने वैसे ही अपने प्यार को पाने की योजना बनाई और चाचाजी के हाथों पारूल की फोटो भिजवाई आैर बिना कुछ देखे- सुने हा कर दी और तुम्हे लगा तुम्हारा बेटा पगला गया है माँ.........मै आज का 'देवदास' हूँ अपने प्यार को खो कैसे देता .......माँ जोर से हँस पड़ी और  बोली खुश रह बेटा जा तेरी 'पारो' इन्तजार कर रही होगी.


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