मोबाइल: एक जादू!!
मोबाइल: एक जादू!!


जादू को कभी हाथ की सफाई या फिर नजरों का धोखा कहा जाता सकता है। जादू लफ्ज़ कई जगह कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है मसलन मोहब्बत की बात आई तो आंखों का जादू हो गया, नफरत की बात आई तो जादू का नाम टोना टोटका हो गया, चोरी की बात आई तो जादू को हाथ की सफाई का नाम दे दिया जाता है। तफरी या मनोरंजन के लिए जो करतब रात में खाने के बाद सिक्के या कार्ड्स के जरिए किए जाते हैं उसे टेबल जादू कहा जाने लगा वगैरह वगैरह। फिर बच्चों के लिए जादू ,जो हंसानेवाले होते है। और अब आया है सबसे नया और निराला जादू , ऑनलाइन जादू..... ऐसा जादू जो बच्चों के साथ साथ बड़ों को भी अपने चपेट में ले चुका है। इस ऑनलाइन जादू के भी कई प्रकार है।
ऑनलाइन पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन पढ़ाई... अरे इस ऑनलाइन जादू का असर इस कदर छाया हुआ है की भूख प्यास सब खत्म हो गई है , खास तौर से बच्चों की। इस जादू ने इस दौर के बच्चों को जो हमारी रीढ़ है, हमारा सहारा है, उन्हें सोच से, समझ से अपाहिज कर दिया है और आगे भी करता रहेगा अगर सही वक्त पर सही कदम न उठाया गया तो। इस जादू का तिलिस्म इनके दिलो दिमाग़ पर इस कदर छाया हुआ है की साफ साफ कुछ दिखना तो दूर इनको अपने आप को भी समझना मुश्किल हुआ जा रहा है। इसकी बहोत गहरी वजह भी है।
इसी ऑनलाइन गेम का शिकार आनंद भी हो गए। दर्जे आठ तक तो थोड़ा गनीमत थी लेकिन दर्जा नौ में पहुंचते ही यकायक बड़े हो गए। ये साइकोलॉजी अमूमन हर बच्चे की हो जाती है जब वो इन क्लासों में पढ़ने लगते हैं।
एक दिन स्कूल में पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग थी। उसमे कई बच्चों के वालदेन (मां बाप) मीटिंग में आए ,आनंद की मां भी आईं और क्लास टीचर से मिलीं। मिल कर कहा, " मैम! ये आनंद पढ़ता लिखता नहीं है।आप इसको जो भी सज़ा दे सकतीं है दीजिए। मैं तो पढ़ने के लिए बोल बोल कर थक गई हूं।" इतना सुनते ही क्लास टीचर ने कहा " मैम आप हमारी वाइस प्रिंसिपल सविता मैम से मिलिए , वो आपको अपनी ऑफिस में मिलेंगी।" इतना सुनते ही वो आनंद को लेके वाइस प्रिंसिपल की ऑफिस की तरफ बढ़ गई।
"मैम ! मे आई कम इन?" दरवाज़े पर खड़े हो कर आनंद ने अंदर आने की इजाज़त मांगी। " येस आनंद! कम इन।" अंदर जाते ही उसने सविता मैम से अपनी मां का तार्रुफ कराया। सविता मैम ने उन्हें बैठने को कहा और बोलीं " मुझे भी आपसे मिलना था। क्या आनंद घर पर पढ़ाई नहीं करता? क्योंकि इसके मार्क्स पिछले साल के बनिस्बत इस साल बहोत कम होते जा रहे हैं। इसकी क्या वजह है?", इसपर आनंद की मां ने कहा "मैम इसपर तो लगता है मोबाइल का जादू चढ़ गया है, दिन रात मोबाइल में न जाने कौनसा गेम खेलता है, की कुछ भी बोलो फ़र्क ही नहीं पड़ता है। ना खाता है न टाइम से सोता है और न ही पढ़ता है। अपने पापा से भी बहस करता है और मुझे तो कुछ नही समझता। मैं यही समझने आई हूं यहां की क्या आप लोग सख़्ती नहीं करते?" सविता मैम बहोत ध्यान से उनकी बात सुनती रहीं फिर बोलीं, " क्यों आनंद तुम ऐसा करते हो?" आनंद अपनी गर्दन झुकाए खामोश खड़ा रहा। सविता मैम ने उसकी मां की तरफ मुखातिब हो कर बोला," इसका स्टडी टाइम बना दीजिए और इसको टाइम से ही मोबाइल दीजिए, और मुझे रोज़ इसकी सेल्फ स्टडी का डिटेल भिजवाईये अपनी साइन करके। आनंद आज यहां से घर जाके तुम जो भी सब्जेक्ट पढ़ोगे वो मुझे अभी बताओ और कल इसकी डिटेल्स मुझे फर्स्ट पीरियड से पहले आके बताना।" ये कहकर उन्होंने आनंद की मां को भी हिदायत कर दी की ऐसा ही होना चाहिए। नमस्ते कह के वो चली गईं।
दूसरे दिन आनंद अपनी क्लास में बैठा रहा लेकिन सविता मैम के पास नहीं गया। सविता मैम ने उसे बुलवा भेजा। आनंद जब ऑफिस में आया तो उन्होंने उससे दिए गए काम के बारे में पूछा। उसने बताया की "मैम मैं भूल गया, कल करके ले आऊंगा। " " आनंद मैं तुम्हे बहोत अच्छा लड़का समझती थी लेकिन तुम तो मेरी उम्मीदों पर बिल्कुल खरे नहीं उतरे। तुम दिन भर गेम खेलते हो, अपने पैरेंट्स से बहस करते हो ...क्या है ये सब?"
इस पर आनंद ने कहा " मैम मैं सच कह रहा हूं मैं अच्छा ही हूं अच्छा बने रहना चाहता हूं , लेकिन मेरे घर में मुझे वक्त देनेवाला कोई नहीं है। मेरे पापा हॉस्पिटल में नौकरी करते हैं, वो शिफ्ट के हिसाब से कभी रात में घर में नहीं रहते तो कभी दिन में। और मम्मी मेरी ज्यादातर किचन में रहती है या फिर मोबाइल में कुछ देखती रहती हैं। जब मैं पढ़ता हूं तो कोई मुझे नहीं देखता, और जब खाली रहता हूं तो उन्हे लगता है की मैं पढ़ता नहीं हूं। मैम मुझे भी डिप्रेशन होता है। और इसका असर मेरी पढ़ाई और बिहेवियर पर पड़ रहा है।"
ध्यान से सुनते हुए सविता मैम ने पूछा" अच्छा बताओ तुम्हारी हॉबिज क्या है?" आनंद ने कहा "मैम! स्पोर्ट्स और साथ साथ पेंटिंग का शौक है, लेकिन पापा स्टेडियम में जाने नही देते इसलिए मैं मोबाइल में अपना वक्त बीताता हूं।" ठीक है आनंद तुम आज जो भी पढ़ोगे मुझे बताओ और कल मुझे जरूर दिखाना।"
अगले दिन आनंद अपना काम करके ले आया और सविता मैम को दिखाया। फिर अगले दिन भी ऐसा ही हुआ। ऐसे एक हफ्ता गुज़र गया और एक दिन आनंद के मां बाप दोनो स्कूल सविता मैम से मिलने आए।
" मैम नमस्ते! आपही से मिलने आए हैं।" सविता मैम ने मुस्कुराते हुए उन्हें बैठने को कहा और पूछने लगीं "आप लोग कैसे हैं और आनंद में कोई सुधार हुआ की नहीं?"
" मैम वही तो कहने आए हैं की ऐसा कौनसा जादू आपने किया है की वो बिल्कुल सुधर गया है? टाइम से पढ़ता है और मोबाइल भी कम देखने लगा है। लेकिन अभी भी चिढचिड़ापन कायम है।"
सविता मैम ने बड़े इत्मीनान से समझाया " आपके या किसी और के बच्चे में कोई भी परेशानी या बीमारी नहीं है। ये जो मोबाइल नाम का जरासीम है इसने सबको बीमार किया है। जो परिवारिक वक्त है वो उसे खा गया है। आपका आनंद बहोत टैलेंटेड है। इस उमर के बच्चों को सब कुछ अच्छा और रंगीन लगता है, इसलिए मां बाप का बच्चे को वक्त देना बहोत ज़रूरी है। सही गलत वो अपने मां बाप से ही सीखता है। जब मां या बाप के पास वक्त नहीं होता है बच्चे को देने के लिए तो वो अपना वक्त, अपना डिप्रेशन, अपना ध्यान इन्ही सब में डायवर्ट करता है। इनकी एनर्जी को चैनलाइज करने की जरूरत है, स्पोर्ट्स के , हॉबी क्लास के माध्यम से। आप लोगों के पास इनसे बात करने के लिए कुछ नहीं होता, सिर्फ इन बातों के की पढ़ते नहीं हो, कितने मार्क्स आए ?फलाने साहब के बेटे को देखो। ये सब करना बंद कर दीजिए और बच्चे को वक्त दीजिए। उनकी बातों को सुनिए। उनके साथ खाना खाइए, बाहर घूमने जाइए।"
"मैने आनंद के उपर मोबाइल के जादू का तिलिस्म तोड़ने के लिए उसको स्कूल में ही पेंटिंग क्लास करने को कहा , साथ ही स्कूल के स्पोर्ट्स क्लस्टर में नाम डलवा दिया है। अब वो खुश रहता है और रोज़ मुझे अपने काम करके दिखाता भी है। देखिए ये पेंटिंग उसी ने बनाई है जो आज स्कूल के कॉरिडोर में डिस्प्ले होगी।"
"उसने कल शायद आप लोगों के लिए चाय के साथ कुछ नाश्ता खुद बनाया था। मुझे बता रहा था की मम्मी रोज़ किचन में काम करके थक जातीं है इसलिए मैने चाय बनाई थी।"
ये सुन कर आनंद की मां की आंखें भर आईं और कहा की "जी मैम ऐसा किया था उसने। अब हमको समझ आया की प्यार, ध्यान और बच्चों के साथ दोस्ती कितनी जरूरी है। आपका बहोत शुक्रिया।"
सविता मैम ने दोनो को नमस्ते करते हुए कहा "मोबाइल का जादू मां बाप के प्यार और ध्यान से बड़ा नहीं है, इसका तिलिस्म तोड़ा जा सकता है।"