और एक बार पीछे मुड़के, "फुदकती कठपुतलियों" को अफ़सोस से देखने लगी। और एक बार पीछे मुड़के, "फुदकती कठपुतलियों" को अफ़सोस से देखने लगी।
उन्माद आलम के गले लग कर उन्मादी हो रहा था.. रात गा रही थी। उन्माद आलम के गले लग कर उन्मादी हो रहा था.. रात गा रही थी।
शहर में दम-सा घुटने लगा है, आओ!चलें अब गांव की ओर। शहर में दम-सा घुटने लगा है, आओ!चलें अब गांव की ओर।