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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action Inspirational

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Action Inspirational

जीतूँगा तब जब

जीतूँगा तब जब

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जीतूँगा तब जब कोई हार होगी 

सीखूँगा तब जब कोई रफ्तार होगी 

क्या पाना क्या खोना ये किस्सा सा है 

भीगूँगा तब जब कोई बरसात होगी !


देखा सब ऐसे जैसे साँझ हुई है 

परखा सब ऐसे जैसे माँझ हुई है 

जाते हैं सभी रुकते तो नहीं हैं 

सखा फिर ऐसे जैसे सांच नहीं हैं !


कोई भी क्यूँ कहता ठहर लो ज़रा 

सपने भी लगे जो संग साथ मेरे 

आफत कोई तुमको भी पड़े ऐसे 

जपने लगे फिर भी न पार लगे !


रोको अपनी या उनकी चाल 

ठहरे तो ज़रा समझदार लगे 

जीवन तो जाना है ठहरा कौन 

अपना ऐसे कोई फिर क्या लगे !!


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