युवा
युवा
1--------युवा क्या है-------
युवा सोच, युवा शक्ति, युवा
तथ्य, युवा तत्व, का समय
युग काल।।
युवा युग की परिभाषा,
पराक्रम, पुरुषार्थ परिणाम।।
युवा ओज, युवा तेज से
युग मर्म, मर्यादा पहचान।।
युवा अग्नि सा प्रज्वलित
युवा तेज, बरछी और कटार।।
युवा वर्तमान कदमों से
निर्धारित होता प्रेरक प्रेरणा का
इतिहास।।
युवा ऊर्जा, युवा चेतना, युवा
साहस शक्ति उत्कर्ष ,उत्सर्ग प्रवाह।।
युवा आंधी और बवंडर
युवा चंदन और सुगंध
युवा तेज का भाल ,काल,
विकट, विकराल।।
युवा लिखता नई कहानी
पृष्ठभूमि का नायक महानायक
पात्र प्रकाश।।
युवा चरित्र ,युवा संस्कृति संस्कार
युवा सभ्यता, युवा भव्यता, युवा
दिव्यता , धर्म कर्म क्रांति
शांति युग साम्राज्य।।
युवा चिंगारी ज्वाला युवा
दीपक और चिराग युवा
युग प्रज्वलित मशाल।।
युवा प्रेम का प्रवाह ,युवा
युद्ध का शंखनाद, युवा ओजस्वी
तेजस्वी, युवा दृढ़ दृढ़ता, विनम्रता
निर्वहन निर्वाह।।
युवा आयु नहीं युवा अंगार
युवा मोम सा मुलायम युवा
पर्वत पहाड़।।
युवा ओस की बूंद नदियों
का कल कल कलरव सागर
की गहराई समय काल पुकार
आवाज़।।
समय को मोड़ दे उद्देश्य पथ
की कठिनाइयों को तोड़ दे
नित्य निरंतर निर्झर उमंग से
नई सीमाओं मान्यताओं का
निर्माण कर दे।।
निडर निर्भीक सार्थक सक्रिय
सत्य का अर्थ अनर्थ को व्यर्थ
कर दे।।
अन्याय अत्याचार का प्रतिरोध
न्याय का आयाम अध्याय पुरस्कार
आविष्कार आविष्कारक भाग्य
भगवान की परम परम्परा का
साध्य साधना आराधना का आराधक।।
2------आज का युवा -----
आज युवा विश्व का स्वयं
दिग्भ्रमित भौतिकता की
चका चौंध में भटक गया है।।
भूल गया है युवा चेतना की
मर्यादा जिम्मेदारी लालच
तृष्णा मृगमरीचिका
दौड़ता भाग रहा है।।
रातों रात सब कुछ दुनिया,
दौलत, शोहरत ,इज़्ज़त, हासिल
करने की खातिर मर्यादाओं
का नित उल्लंघन कर रहा है।।
कभी फंस जाता नशे के जाल में
शराब, कबाब, शबाब की दुनिया में
स्वयं को जलाता ही मगन हो रहा है।।
नशा सिर्फ शराब नहीं मादकता के
दानव के दामन में युवा सिमट लिपट
रहा है।।
हीरोइन, हशीश, जाने क्या क्या
निगल रहा है देश समाज परिवार
परवरिश की आशा विश्वासों का
गाला घोंट रहा है।।
बुद्धि नहीं है फिर भी बुद्धि जीवी
के खतरनाक इरादों की बलि रोज
युवा आज अब चढ़ रहा है।।
धर्म कर्म से विमुख छद्म धर्म
निरपेक्षता की आग नित्य चढ़ रहा
निगल रहा है।।
मर्यादा मर रही प्रतिदिन
अत्याचार, अन्याय, भय, भ्रष्टाचार
पर्याय युवा बन रहा है।।
3------समस्याओं से जूझता युवा-----
युवा चाहता है यदि कुछ करना
अभाव अंधेरों से पड़ता है लड़ना।।
गांव में कृषि अब पर्याप्त नहीं
शिक्षा दीक्षा का व्यवहारिक व्यवहार
नहीं युवा को दर दर भटकना
पड़ता।।
रोजी रोजगार नहीं, व्यवसाय व्यापार
नहीं, युग युवा को रोटी की खातिर
सिमटना पड़ता।।
गांव छोड़कर शहर ,शहर छोड़
कर राज्य, राज्य छोड़ प्रवासी बन
पहचान गवाना पड़ता।।
माँ बाप की आशाओं प्यार परवरिश
परिवार की आकांक्षाओं से मुंह छुपाना
पड़ता।।
युवा आज भी ओज तेज ऊर्जा
का परिपूर्ण विवश हो खो जाता
युग अंधेरों में पीठ दिखाना पड़ता।।
युग युवा आशा और विश्वासों कि
जलती होली रोज जीवन की खुशियों
रंगों से बदरंग हो जाना पड़ता।।
युग युवा धैर्य धीर वीर गंभीर
रच डाले है जाने कितने ही इतिहास।।
तुममें ही शक्ति साहस है चाहो जैसा
बदल डालो समय काल वर्तमान।।
युग युवा की हताशा निराशा से
देश समाज बीमार उठो जागो
युग चेतना के प्रवर्तक पुकारता
समय काल।।