प्रकृति प्रेम जगाना है
प्रकृति प्रेम जगाना है
प्रकृति प्रेम बचपन से,
हमें बच्चों में जगाना है।
पर्यावरण को हो हितकर,
वह आचरण बनाना है।
वह जंतु हो या पादप हो,
जगत का हर जीव है जरूरी।
होते एक दूजे के हैं पूरक,
आपस में करते जरूरत पूरी।
रक्षक तो स्वयं भी होगा रक्षित,
यह जन-जन को बताना है।
प्रकृति प्रेम बचपन से,
हमें बच्चों में जगाना है।
पर्यावरण को हो हितकर,
वह आचरण बनाना है।
जननी समान ही प्रकृति तो,
हैं पोषण हम सबका करती।
नादानियां भी हमारी वह,
एक सीमा तक है सहती।
रौद्र रूप भी धारण करती,
उस सीमा को भी बताना है।
प्रकृति प्रेम बचपन से,
हमें बच्चों में जगाना है।
पर्यावरण को हो हितकर,
वह आचरण बनाना है।
शुभता का सतत् योग करके,
बनना एक दूजे का सहयोगी।
संरक्षित करते हुए जीव-पादप,
ही रह सकेंगे हम सभी निरोगी।
निज अस्तित्व की सुरक्षा हित,
प्रकृति को अक्षुण्ण बनाना है।
प्रकृति प्रेम बचपन से,
हमें बच्चों में जगाना है।
पर्यावरण को हो हितकर,
वह आचरण बनाना है।