तेरी रज़ा
तेरी रज़ा
ऐसी कृपा करो
अज्ञान का पर्दा हटे,
मोह आवरण हटे
तुम्हारा स्वरूप समझूँ।
भली- बुरी कोई इच्छा न रहे
मैं कुछ भी न चाहूँ,
जो तुम्हारी इच्छा हो
वही होने दो।
जैसी स्थिति में रखो
जैसे चाहो रखो,
तुम्हारा स्वरूप समझकर
तुम्हारा ही अपना बनूँ।