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chandraprabha kumar

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chandraprabha kumar

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उसी का प्रसाद

उसी का प्रसाद

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हाइकु 

1.

पेड़ों के पीछे

रक्तिम गोला रवि

नीचे हो आया ॥

2.

कालिमा फैली

धीमे से सॉंझ आई 

नयन थके  ॥

3.

थकित मन

विश्राम की आकांक्षा 

विभावरी में  ॥

4.

अकेलापन

व्यथापूरित मन

धीरज कहॉं ॥

5.

जब जो आए 

उसी का प्रसाद है

स्वीकार करो ॥


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