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एकाकी प्रहर
एकाकी प्रहर
एकाकी प्रहर
एकाकी प्रहर
नींद नहीं आये
सुनसान रातों में
एकाकी प्रहर
पिछली बातें
मन में घुमड़तीं
सोने नहीं देतीं।
यह मौसम
रात अन्धेरी
बूँदों की टपटप
वर्षा की आवाज़
बिसरी यादें
लौट के आयें।
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