एकान्त सार्वभौमिक प्रेम
एकान्त सार्वभौमिक प्रेम
सुगन्ध का तूफान
हवा के झोंकों पर,
सुगंध का विशाल सरोवर,
एकदम मधुर और एकदम कोमल,
मुस्कराहट के समान मधुर
वियोगजनित अश्रुओं की भाँति कोमल।
फूलों की ऐसी अन्धाधुन्ध बाढ़
कि मार्ग सुनहले फर्श से ढका लगता,
दीर्घाकार पर्वत चोटियों पर
सुशोभित सुन्दर खेत,
जैसे बेलबूटेदार कालीन
सुरम्य पर्वत पर।
कलकल ध्वनि वाले निर्झर
चारों ओर हरियाली का फर्श बिछा,
जहॉं चिड़ियाँ रातदिन चहचहाती
पर्वतीय छायापथ मार्ग ,
गंगा की कलकल और
पक्षियों का कलरव।
चाहे जहॉं दृष्टि दौड़ायें
कहीं कोई रुकावट नहीं,
वह हर्ष उल्लास और आनन्द
वह सूर्य और वायु के साथ
तादात्म्य हो जाने की प्रफुल्लता
दिव्य गंभीर अनिर्वचनीय अनुभव।
