गर्व है मुझे मैं औरत हूँ
गर्व है मुझे मैं औरत हूँ
हाँ ! मैं एक नारी हूँ
इसमे शर्म कैसी
शायद तुम सोच रहे होगें कि
मैं अपवित्र हूँ
क्योंकि मुझे आती है महावारी
अरे पुरुषों क्या घटिया सोच है तुम्हारी
तुम्हें पता है
नारी से ही तुम्हारा जन्म हुआ है
यदि ना होती नारी
ना होते तुम
कहाँ से लाते आबादी
आज मैं प्यार करती हूँ
अपने आप से
हाँ ! जीती हूँ मैं आज
केवल अपने लिए
तुम्हारे लिए जी कर देख लिया
क्या मिला ?
अपमान, घृणा, तिरस्कार, नफरत
अब तक करती रही सामना
पुरुषों की गंदी सोच का
जो मिटा देना चाहते थे
मेरे अस्तित्व को
परोस देना चाहते थे मर्दो के आगे
मैनें&
nbsp;हिम्मत दिखाकर
स्वयं को बाहर निकाला
समय बहुत लगा
पर करती रही मैं प्रयास
बार - बार
आज संभाल लिया है मैने खुद को
जान चुकी हूँ कि
यह समाज
नारी को खुश नहीं देख सकता
पर मुझे अभी और आगे जाना है
अपने और अपनी बहनों के लिए
बहुत कुछ कर दिखाना है
मैं कर सकती हूँ क्योंकि मैं
शक्ति का दूसरा रुप हूँ
हर घर की बेटी, बहू, माँ के लिए
लड़ूगी मैं
समाज से
अंधविश्वास से
जो पहनाता है नारी के
पाँव में बेड़ियाँ
हाँ ! मैं करती रहूगीं प्रयास
जब तक जान है जिस्म में
मुझे गर्व है अपने आप पर
कि मैं एक औरत हूँ
जिससे संसार चल रहा है।