पहला प्यार बना प्रार्थना पत्र
पहला प्यार बना प्रार्थना पत्र
स्कूल में लिखते थे कभी प्रार्थना पत्र,
जब आया सामने पहली बार प्रेमपत्र।
कुछ समझ नहीं आया,
फिर धीरे धीरे मैने अपना,
कदम आगे बढ़ाया।
हर शब्द पर मैं मुसकुराई,
हाँ! बीच बीच मे मैं संकुचाई।
सोचने लगी फिर बड़े ध्यान से,
स्कूल के बाद
क्या प्रार्थना पत्र की
जगह ले लेता है प्रेमपत्र?
क्या होता है जब हम देते हैं
एक दूसरे को प्रेमपत्र?
यही सोचकर मैं घबराई,
पर मै आश्चर्य से शरमाई।
क्या मुझे भी देना होगा इसका उत्तर?
पर कैसे दे पाऊगीं मै उत्तर?
मुझे नहीं आती शायरी,
नहीं आती कोई कहानी,
कैसे लिखूँ मैं प्रेमपत्र?
किससे सीखूँ यह सब लिखना?
क्यों ना लिख दूँ एक प्रार्थना पत्र जो,
कभी लिखा करती थी स्कूल में।
मैनें भी लिख दिया प्रेमपत्र
जो था हूबहू प्रार्थना पत्र।
जिसमे लिखा था मैनें,
मै अस्मर्थ हूँ जवाब देने हेतु,
क्योकिं कल रात से बीमार हूँ।
दो तीन दिन बाद दूगीं उत्तर,
इसीलिए मुझे चाहिए अवकाश।
ऐसा था मेरा पहला प्रेमपत्र,
जो प्रार्थना पत्र की शक्ल में था
मासूमियत से भरा,
आज भी करती हूँ जिसको याद
वो मेरा पहला प्यार वाला प्रेमपत्र।।