यहाँ तक चलना था
यहाँ तक चलना था
चलते चलते पाँव कभी थक जाते हैं,
हम चाहते हैं रुकना पर रूक नहीं पाते हैं।
कभी कभी सोचते हैं हमें यहीं तक चलना था,
पर हम तो बहुत आगे तक निकल जाते हैं।
ऐसे ही यह जीवन है, जो लगातार चलता रहता है,
ठहरता नहीं किसी के लिए आगे बढ़ता रहता है।
पैर हमारे रुकना चाहते हैं आराम करना चाहते हैं पर
हम चाहकर भी अपने पैरो को विराम नहीं दे पाते हैं।
जब हो कोई उद्देश्य हमारे सामने तब और मुश्किल होती है
तब हमें हमारी मंज़िल खुद चुननी पड़ती हैं।
अपने आपको रोकना शायद सपनों का अंत कर देना होगा,
अपने सपनों को पूरा करने हम नई दिशा में आगे बढ़ जाते हैं।
ठहरना जीवन का अंत बड़े बुजुर्गों ने सही कहा है,
जब तक ना हो कुछ हासिल सफर जारी रखना होगा।
परिश्रम से हम अपना जीवन संवार पाते हैं,
मरने के बाद भी फिर हम याद किए जाते हैं।
