वो लाज है बिखरी हुई ज़मीन पर जो उधड़ा पड़ा। वो लाज है बिखरी हुई ज़मीन पर जो उधड़ा पड़ा।
सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ। सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ।
चाहे कोई खास हो उसको मिलने की ना आस हो तब रिश्तो को विराम दें..। चाहे कोई खास हो उसको मिलने की ना आस हो तब रिश्तो को विराम दें..।
वृद्धावस्था भी अब गुमनाम हो गई है जीवन की पंक्ति विराम हो गई है। वृद्धावस्था भी अब गुमनाम हो गई है जीवन की पंक्ति विराम हो गई है।
फिर भी जाने क्यों हर रोज़ सोने से पहले एक तकिया और अपने तकिये के पास रख देती हूँ, जा... फिर भी जाने क्यों हर रोज़ सोने से पहले एक तकिया और अपने तकिये के पास ...
इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए, खुशियों का संसार नज़र आएगा। इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए, खुशियों का संसार नज़र आएगा।