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Sahana Banerjee

Abstract

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Sahana Banerjee

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मौन

मौन

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तू मौन है

तू मौन है जहान से

जहाँ भी तुझसे मौन है।

निस्तब्धता से क्या मिला

इन्सान यहाँ कौन है ?


तू मौन है

ढका हुआ वो ज़ख्म है

जो आह तक भी ना भरा।

तक़दीर की वो रेख है

जो खंजरों में मिट चला।


तू मौन है

तू गले में रुकी वो चीख़ है

जो दुनिया ने कभी ना सुना,

वो लाज है बिखरी हुई

ज़मीन पर जो उधड़ा पड़ा।


तू फ़िर भी मौन है

आज मौन है तू, मौन रह,

ना खोलना जुबाँ तू फ़िर

सुनाई दे अगर चीख़ कोई

आत्मन को भी विराम दे

तू मौन था, तू मौन रह।


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