मेरा देश
मेरा देश
दुनिया तरक़्क़ी
कर रही है साहिब!
मेरा देश
विकास
कर रहा है
इंसान तो इंसान
रहा नहीं अब
बस सब्ज़बाग़ की
दुकान बन रहा है
दुनिया तरक़्क़ी
कर रही है साहिब!
किसका वजूद
ढूंढ रहा है
यह एन आर सी
और कैब के
बहाने से
किसका आशियाँ
ढहा रहा है
वो किसका घर
बनाने में
अपनी नींद भी
बेच चुका है
चन्द काग़ज़ और
कमाने में
आप दुःखी
न हो साहिब!
दुनिया तरक़्क़ी
कर रही है साहिब!
मेरा देश
विकास
कर रहा है
अब कोई
काला धन नहीं
सबके पास आधार कार्ड है
सबकी बिजली मुआफ़ हो रही है
सबका दिल अब साफ है
महिलाएं बसों में
मुफ़्त सेवा का
लुत्फ़ ले रही है
लूट रही उनकी अस्मतें है
लूटने वाले ही उन अस्मतों को
दे रहे धरने और
जला मोमबत्तियां
युवा मोबाइल में
लिप्त हुआ
रोज़गार की उसको
कोई फ़िक़्र नहीं है
अख़बार और न्यूज़ में
कहीं
किसी युवा का
ज़िक्र नही है
इंतज़ाम सब दुरुस्त
हो रहा है साहिब!
दुनिया तरक़्क़ी
कर रही है साहिब!
मेरा देश
विकास
कर रहा है
राम मंदिर भी
बनने वाला है
कश्मीर भी अपना
हुआ जानो
हम सब साथी-सहयोगी है
यह तुम पर है
तुम इसे
मानो या न मानो
कलाकार प्याज़ के
छिलकों को लेकर
नाटक करने की तैयारी में है
लेखक प्याज़ के संदर्भ में
अपना लेखन कौशल
आज़मा रहा है
किसान मरे या
जवान मरे
मरने दो सालों को
फिर चाहे
जो हो सो हो
अपनी जेबें
भरनी चाहिए
स्वार्थ सिद्धि की पूर्ति
सबसे पहले अपनी चाहिए
मिट्टी बेचो चाहे
बेचो देश
किसी के दिल को भी
लगाओ तुम ठेस
बस अपना सिक्का
बाज़ार में अब
टिकना चाहिए
अर्रे रे रे आप न
यूँ आंसू बहाइये साहिब!
दुनिया तरक़्क़ी
कर रही है साहिब!
मेरा देश
विकास
कर रहा है.......