सदा मेरी राहों में....
सदा मेरी राहों में....
वो सूरत आँखों से
हटती नहीं है
उसकी हर बात
दिल में अखरती नहीं है
वो कौन है मेरा
जो मेरा भी नहीं
वो कौन है
जो बेगाना भी नहीं
जाना पहचाना सा
लगता है
मेरा ये छोटा सा
आशियाना
उसकी रहमतों का
असर सा लगता है
उसकी दुआओं का
क्या ये सिला है
मेरे जैसा कमनसीब
एक दोस्त उसे
मिला है
या मेरी दुआओं का
वो सिलसिला है
जो सज़दे किये है
उनके लिए
वो मिला है
चाहे जो भी हो
दोस्तों
कुछ देर के
लिए ही सही
कुछ चैनोसुखन तो
मेरे दिल को
मिला है
ग़र ये ख़्वाब है
तो खुदाया
ये ख़्वाब न टूटे
ग़र ये
आस है तो
खुदाया ये
आस न टूटे
हो कोई बात
चाहे दुनियां में
मेरे लिए पर
मेरे ये एहसास
कभी मुझसे न रूठे
तेरा शुक्रगुज़ार हुँ
और सदा रहूँगा
मालिक!
जहाँ मैं छला था
वहां तूने खला है
ये जो भी हुआ है
सब तेरा सिला है
मेरा कुछ नहीं है
जो मुझको मिला है
तेरा ही नूर है
जो बनकर दीपक
जला है
बस इतना करम करना
अंधेरों में ग़म के
तेरा ये नूर
हमेशा मेरा रहबर बन
मुझे मिलता रहे
और ये आस का दीपक
सदा मेरी राहों में
यूँही जलता रहे
सदा यूँही
जलता रहे....