टिकती नहीं
टिकती नहीं
ये नज़र तेरे सिवा...
कहीं और अब टिकती नहीं,
दिल में किसी और को बसा लें,
ऐसी सूरत कोई और दिखती नहीं।
ऐसा नहीं कि और कोई मिला नहीं,
बस किसी और के मिलने पर...
ये दिल...
सच कहूँ तो कभी खिला नहीं।
तेरा वो चुम्बकीय आकर्षण...
मेरा दिल अपने साथ ले गया,
मैने रोका बहुत...
पर वो दर्द नया दे गया।
तुझसे मिलके ये निगाहें,
खो गईं तेरी दुनिया में,
रुकते - रुकते तुझी पर टिक गईं,
अब कैसे टिकें किसी दूजे पे?
तुझे देखने को दिन - रात,
ये तड़पें सारी रात...
टिकती नहीं...
ये नज़र अब कहीं और टिकती नहीं।।