गले लगाकर जाने को,
कह दिया उसने...
ताउम्र साथ निभाने को,
कह दिया उसने...
हर सुबह संग जगाने को,
कह दिया उसने...
हर शाम बाहों में आने को,
कह दिया उसने...
हर बात दिल की बताने को,
कह दिया उसने...
हर ख्वाहिश आंखों से पाने को,
कह दिया उसने...
हर लम्हा तुझमें बिताने को,
कह दिया उसने...
हर ख्वाब तुझसे सजाने को,
कह दिया उसने...
सर्द रातों में पास सुलाने को,
कह दिया उसने...
बिन बोले सब समझ जाने को,
कह दिया उसने...
अंधेरों में दीप जलाने को,
कह दिया उसने...
टूटे दिल को फिर से बनाने को,
कह दिया उसने...
हर जख्म खुद पे उठाने को,
कह दिया उसने...
मेरे ग़म को अपना बताने को,
कह दिया उसने...
जिंदगी मेरी बन जाने को,
कह दिया उसने...
और फिर कभी ना जाने को,
कह दिया उसने |