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Praveen Gola

Tragedy

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Praveen Gola

Tragedy

बेवफ़ाई की दास्ताँ

बेवफ़ाई की दास्ताँ

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वो मीठी बातों से तेरा दिल बहलाएगा,

पर हक़ में तेरे वो कभी भी न होगा।


जो अपने ग़म को हर रोज़ कहानी बनाएगा,

तेरे लिए सच्चा वो आशना न होगा।


कभी ग़ौर से देख उसकी आँखों में झाँक कर,

तेरा नाम उस सहरा में लिखा न होगा।


जो तन्हाई का अफ़साना रोज़ सुनाएगा,

उसी घर में रातें वो किसी और के संग गुज़ारेगा।


वो अपने गुनाहों पे पर्दे बहुत डाल जाएगा,

मगर सखी, वो नक़ाब अब नया न होगा।


जो खुद की चौखट पे चराग़ न जला पाया,

तेरे आँगन में उजाला वो लाएगा क्या?


तेरी वफ़ाओं को वो क़िस्सों में गुम कर जाएगा,

तेरे जज़्बात का मोल वहाँ क्या न होगा।


उसकी ज़बां की मिठास पे अब एतबार न कर,

जो बेवफ़ा था किसी का, वो तेरा न होगा।


कभी उस अजनबी की गलियों में चलकर देख,

तेरी तरह कोई और भी वहाँ ठगा न होगा?


सो अब सखी, दिल को समझा और संभाल ले तू,

जो तेरा नहीं, वो तेरा कभी न होगा।



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