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ritesh deo

Tragedy

5  

ritesh deo

Tragedy

एक नन्ही सी जान की पुकार

एक नन्ही सी जान की पुकार

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एक सवाल मेरा भी सुन लो

मैं धरती की पुकार हूँ

मैं जन्मी एक नन्ही सी जान

इंसानियत पर धिक्कार हूँ


बुझ गया सारा चिराग़

सारे अँधे हो गए है

हमारे जिंदगी से खेलना

सबके निजी धंधे हो गए है


दो सूरतों में ये कहानी

हर जगह दुहरायी जाती है

नौ माह रहती माँ की कोख में

फिर कूड़े की ढेर में लायी जाती है


रहते हो बेख़ौफ़ बेफिक्र

करते हो अपनी मनमानी

रखते हो पाव अंधेरी गलियों में

क्यों नहीं सोचते होगी बदनामी


करते है सारी हदों को पार

दो पल की प्यास बुझाते हैं

पलने लगता जब बिज़ अंधेरे में

इंसानियत को सब भूल जाते है


फेक देते फिर उस कली को

कैसे बेरहम इंसान है

नहीं देखते वो लड़का या लड़की

नहीं सोचते इक नन्ही सी जान है


एक चेहरा तो ये होता है

दूसरा चेहरा इससे भी बुरा है

करती हूँ मैं उसकी भी व्याख्या

उसके बिना कहानी अधूरी है


दोष किसे मैं दूँ इस दुनिया मे

एक पिता को या समाज को

घोंटते है गला वो भी बेटी का

बुझा देते है एक चिराग़ को


फिर वही दास्ताँ वही कहानी

फिर से यहाँ दुहरायी जाती है

जब फिर से एक नन्ही जान को

कूड़े की ढेर में लायी जाती है


छोड़कर चले जाते है सब

पलट कर नहीं देखते इस जान को

इंसानियत पहले ही दफ़्न कर दी तुमने

आज दफ़नाया खुद के ईमान को


देखकर मेरी इस व्यथा को

आसमान भी रोता है

फट जाता धरती का कलेजा

फिर विनाश का उद्गम होता है


फिर कौंन सुनता हैं इस दुनिया मे

अनकही सी मेरी पुकार को

मुझे राह में फेंक दिया जाता है

जिसने देखा ही नहीं अभी संसार को


क्या गलती थी मेरी 

किस बात की मुझे ये सजा मिली

दुआ नही की मेरे हक़ में किसी ने 

बचपन में ही बद्दुआ मिली


दुनिया के इस बगीचे में

मनचाहा फूल ही खिलता है

जो अपनी किस्मत से लड़ कर आता

उसे गोद क्यों नही मिलता है


नहीं खेली बाबा की गोद मे

नहीं छुपी माँ के आँचल में

दूर कर दिया मुझको खुद से

फ़ैसला किया सबने एक पल में


बेरहमी से मुझे फेक देते

सोचते नहीं फिर क्या होगा

कोमल जिस्म होगा लहू लुहान

फिर कैसे मेरा दवा होगी


क्यों नहीं समझते मेरी मासूम आँसू को

क्यों खुद का ही साया दूर होता है

मेरी भी साँस चलती है माँ

चोट लगने पर,मुझे भी दर्द होता है


बहुत देर तक यहाँ रोते रोते

कभी ये साँसे भी रुक जाती है

जब नन्ही सी जान को कोई

कूड़े की ढेर में छोड़ चले जाते है


सबको तो तुम अपने पास रखते

क्यों मुझपर किसी की नज़र नहीं है

मैं भी तो बाकी बच्चो की तरह आयी

क्या इस दुनिया मे मेरा कोई घर नहीं है


मत करो हम पर अत्याचार

हमें भी इस दुनिया मे जीने दो

खुदा ने तो हमें हयात बख्शी है

तुम माँ का दूध हमें पीने दो


मत फेंकना मुझे राह में

एक मैला सा ही मुझे आँचल दे दो

मत खिलाना अपनी गोद मे

बस एक छोटा सा ही आँगन दे दो।



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