नारी का अपमान गलत है
नारी का अपमान गलत है
संसद में हो या गलियों में, नारी का अपमान गलत है ।
दलित, सवर्ण, राजनेता में, बँटता हिंदुस्तान गलत है ।।
जाति धर्म क्या अपमानों के, मानक भी तय कर सकते हैं ??
राजनीति के हाथों भी क्या, नारी के गहने बिकते हैं ??
गाली के प्रत्युत्तर में जब, वह गाली का दौर चला था ।
तो संसद की गरिमा, भारत, को यह कैसे नही खला था ??
क्या रानी को हक है वह, जनता को गाली दे सकती है ??
विष के बदले जिसको चाहे, विष की प्याली दे सकती है???
रानी को गाली देना यदि, सबसे बड़ा जुर्म होता है ।
तो झोपड़पट्टी वाली को, गाली क्यों मुद्दा छोटा है ??
नारी तो नारी है आखिर, क्या अमीर की क्या गरीब की ।
उसकी गरिमा गरिमा है बस, क्या रानी की क्या फकीर की ।
जो भी नारी को गाली दे, उसकी सजा एक ही होगी ।
गाली के उत्तर में गाली, गलती एक सरीखी होगी ।
मानदण्ड अब सम्मानों के, कभी हस्तियाँ नहीं लिखेंगी ।
यह भारत का मानपत्र है, इसको गलियाँ नहीं लिखेंगी ।
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राजनीति के पहरेदारों, आज देश हुंकार रहा है ।
जन मानस का लाल रक्त अब, खुले आम ललकार यह है ।
अब सड़कों पर राजनीति की, रैली भी स्वीकार नहीं है ।
नारी को गाली देने का, तुमको भी अधिकार नहीं है ।
चोरी तो चोरी है आखिर, पक्षपात कैसे मुमकिन है ???
आओ मेरे सम्मुख आओ, आज फैसले वाला दिन है ।
प्रण है सबका गौरव सबको, एक सरीखा दिलवाऊंगा ।
नेता हो या आम नागरिक, चिट्ठा सबका बनवाऊंगा ।
प्रण है अपमानों का मानक, अब नेता तय नही करेंगे ।
आम नागरिक नेताओं से, रत्ती भर भी नहीं डरेंगे ।
अगर क्रोध में तुम मर्यादा, का उल्लंघन कर सकते हो ।
नीच कृत्य के लिए नीचता, से अनुबंधन कर सकते हो ।
तो इस हरकत पर गुस्से में, जीभ तुम्हारी क्यों रहने दें ??
इसी तरह ये राजनीति का, गन्दा नाला क्यों बहने दें ???
बन्द करो ये ओछी हरकत, मानवता को चोटें मत दो ।
जाति और पद के गुमान में, नीरवता को चोटें मत दो ।।