इंतज़ार का पल
इंतज़ार का पल
बस दो पल के लिए मेरा इंतज़ार कर लीजिये
आज की रात खुद पर एतबार कर लीजिए
सूनी आँखों में उमड़ता आँसुओं का सैलाब है
आप भी इस समंदर में अपनी कश्ती सवार कर लीजिये
हर तरफ तन्हाई की महफिल सजी है क्या कहें
आप इस महफिल में थोड़ी शायरी कर लीजिए।
देखिये ना किस कदर ख़ामोशी है छाई हुई
आप इस बस्ती में शहनाई का मज़ा कर लीजिए
बिन आपके गुजरती हर रात काली रात है
आज रात की चाँदनी से कुछ तो रजा कर लीजिए
बेरंग हमें इस ज़िंदगी से अब ना रहा कोई गिला
इक
पल के खातिर ही सही इसे रंगीन कर दीजिए
आज का बीता हर लम्हा पतझड़ सा उजड़ गया
अब ढलती शाम में इसे बसंत कर लीजिए
जानते हैं आप हमें बदनाम नहीं कर पायेंगे
अपने नाम के ही खातिर हमसे कोई गुनाह कर लीजिए
बेवफा हम ही हमेशा आपकी नज़रों में थे
इस बार खुद ही अपनी नज़रों से वफा कर लीजिए
आइये इक बार मुझे आगोश में भर लीजिए
इक बार मेरी पनाह में कोई खता कर लीजिए
हम पर ये अहसान रहा आपने इंतज़ार किया
चाहे तो इस अहसान पर हमको तबाह कर लीजिए।।