किसी की नजर ना लगे मेरे सोलह श्रृंगारों से। किसी की नजर ना लगे मेरे सोलह श्रृंगारों से।
ज़िन्दगी बीत गयी साहब सबूत और गवाह करते करते। ज़िन्दगी बीत गयी साहब सबूत और गवाह करते करते।
यह कई दफा हुआ वो याद रहा है मुझे मेरी गुस्ताख़ मुहब्बत यह कई दफा हुआ वो याद रहा है मुझे मेरी गुस्ताख़ मुहब्बत
जैसे पाया टूट जाने से खिलौना टूटता नहीं ठीक वैसे ही ज़िन्दगी रुठ जाने से जीने का मकसद टूटता नहीं जैसे पाया टूट जाने से खिलौना टूटता नहीं ठीक वैसे ही ज़िन्दगी रुठ जाने से जीने...
हर एक की जिंदगी का रखता हूं हिसाब। वक्त आने पर दे देता हूं सबका जवाब।। हर एक की जिंदगी का रखता हूं हिसाब। वक्त आने पर दे देता हूं सबका जवाब।।
खुद को सँवारने के लिए दूसरों को उजाड़ना पड़ता है। खुद को सँवारने के लिए दूसरों को उजाड़ना पड़ता है।