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VIVEK ROUSHAN

Drama

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VIVEK ROUSHAN

Drama

ज़िन्दगी से लड़ना पड़ता है

ज़िन्दगी से लड़ना पड़ता है

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ज़िन्दगी जीने के लिए ज़िन्दगी से लड़ना पड़ता है

जंग गर अपनों से हो तो हारना पड़ता है।


आजकल की मोहब्बत का यही दस्तूर है

किसी से किया वायदा किसी और से निभाना पड़ता है। 


खुद को तबाह कर  लिया  हमने  जिसकी खातिर 

उसको भूलने के लिए भी उसी को याद करना पड़ता है। 


दर्द की गलियों से हमारा कोई वास्ता न था 

अब रोज़ उन्हीं गलियों से हमें गुज़रना पड़ता है। 


इश्क़ में टूटा तो ये बात समझ पाया "रौशन "

खुद को सँवारने के लिए दूसरों को उजाड़ना पड़ता है। 


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