खुदा हो जाए
खुदा हो जाए
किसे खबर क्या पता कब कौन क्या हो जाए
यहाँ आदमी भी चाहता है की वो खुदा हो जाए
जिसने बोए हैं काँटे कदम-कदम पर राहों में
वे लोग चाहते हैं की फूल से खुशबू जुदा हो जाए
तुमने क्या सोचा तुमने क्या चाहा ये तुम जानो
मैंने तो बस इतना ही चाहा की तू मेरा हो जाए
ख्वाब तो आते-जाते रहते हैं इन आँखों में
कभी तो ऐसा हो की जो ख्वाब देखूँ वो पूरा हो जाए।