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Rahim Khan

Abstract

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Rahim Khan

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जमाना खराब आ गया

जमाना खराब आ गया

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जमानो खराब आग्यो सा,

झूठमूठ री बातां बणाय ने साब मोटा सदावे,


चार पांच दिन फरलू मारे,

झठे दिन हाय तोबा मचावे,

जमानो खराब आग्यो सा,


काम करण आळा नू अनाड़ी केवे,

खुद रात दिन काम करण रो ढोंग रचावे।

जमानो खराब आग्यो सा


नेतावां रा पग चाट, प्रताप री

ओलाद/झांसी की रानी सदावे,

कमीशन रे लारे ळारा नाखता,


बातां दातारी री रे करे

जमानो खराब आग्यो सा

बातां तो घणी केवणे है,

पर में जाणा जमानो सुधर जावे ?


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