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Rahim Khan

Horror Tragedy

4.5  

Rahim Khan

Horror Tragedy

ऐ मौत

ऐ मौत

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ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर

बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर 

लाशें कतारों में लगी हैं कफ़न दफ़न के लिए

कब्र नहीं, जलाने को जगह नहीं, ऐसी जबरदस्ती न कर

ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर 

बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर।

रो रही है राधा सलमा भी सिसक रही है

अंतिम सफ़र में अकेली हो,

ऐसी सुनसान बस्ती न कर

ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर 

बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर।


मरने को तो मैं मर गया, उसकी परवाह नहीं

 मेरा अपना कोई ना होगा ऐसी आजमाइश न कर     

ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर

 बेअदब हो कर जान इतनी सस्ती न कर।

ज़मी की मिट्टी बहुत है, बेकफ़न ही सही मिला देना, 

मर के भी भंवर में तैरता रहूं, ऐसी दुर्गति ना कर

मौत आज ऐसी मस्ती न कर 

बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर।


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