ऐ मौत
ऐ मौत
ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर
बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर
लाशें कतारों में लगी हैं कफ़न दफ़न के लिए
कब्र नहीं, जलाने को जगह नहीं, ऐसी जबरदस्ती न कर
ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर
बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर।
रो रही है राधा सलमा भी सिसक रही है
अंतिम सफ़र में अकेली हो,
ऐसी सुनसान बस्ती न कर
ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर
बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर।
मरने को तो मैं मर गया, उसकी परवाह नहीं
मेरा अपना कोई ना होगा ऐसी आजमाइश न कर
ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर
बेअदब हो कर जान इतनी सस्ती न कर।
ज़मी की मिट्टी बहुत है, बेकफ़न ही सही मिला देना,
मर के भी भंवर में तैरता रहूं, ऐसी दुर्गति ना कर
ऐ मौत आज ऐसी मस्ती न कर
बेअदब हो कर जान इति सस्ती न कर।

