शान्ति परम सुख
शान्ति परम सुख
लड़ना अच्छी बात नहीं,
करो न ऐसी बात कभी
लड़ने से क्या होता है,
चैन और सुख खोता है,
मिलजुल के यदि रहते हैं,
दिल सबके खुश रहते हैं
अहंकार बढ़ जाता है
झगड़ा हो ही जाता है
इतिहास तुम्हें बतलाता है,
लड़ने से कुछ ना मिलता है
कुछ देश नष्ट हो जाते हैं,
विजयी भी हानि उठाते हैं ,
यदि याद कलिंग युद्ध होगा,
परिणाम ज्ञात उसका होगा,
हारा था कलिंग मौर्य जीते,
पर दोनों देश शोक में थे,
वीरों ने प्राण गंवाये थे,
संसाधन व्यर्थ मिटाये थे,
प्रियजन सब ने ही खोए थे,
जित-विजित उभय ही रोये थे,
मातम घर-घर में पसरा था,
पत्थर का दिल भी पिघला था,
विह्वल सब अश्रु बहाते थे,
अपनों की चिता जलाते थे,
राजा अशोक भी पीड़ित थे
मन की अशान्ति से व्याकुल थे
करुणा से क्षुब्ध हृदय लेकर
वह बुद्ध शरण में आये थे
आजीवन बन कर शान्ति-दूत
जन-जन को प्रेम सिखाते थे
कुछ सीखो इन घटनाओं से
कुछ ना सुलझेगा झगड़ों से
यदि शान्ति-प्रेम से सुलझाओ
झगड़े हल होंगे मिनटों में,
तो रहो शान्ति से हिलमिल कर,
यूँ व्यर्थ तुम्हें ना लड़ना है
सौहार्द, मित्रता प्रेम दया,
मानव जीवन का गहना है,
सब क्रोध त्याग कर गले मिलो,
अब प्रेम-स्नेह से रहना है।

