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Kishan Negi

Horror Inspirational Thriller

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Kishan Negi

Horror Inspirational Thriller

तोड़कर गुलामी की बेड़ियाँ

तोड़कर गुलामी की बेड़ियाँ

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मेरे जज्बातों को 

सरहदों पर खड़ी मत करो 

गुलामी की ऊँची दीवारें 

कब तक क़ैद रखोगे 

मेरी आसमान से ऊंची उड़ान को 

जो बेड़ियाँ बाँध राखी हैं 


तूने मेरी हाथो में 

देख तोड़कर आ रहा हूँ 

गिराने तेरी झूठी शान की मीनारों को 

अपने पापों से तूने 

खड़े किये हैं जो शैतानी किले

तोड़कर गुलामी की हथकड़ी 

उनको ढहाने आ रहा हूँ

मेरे जुनून के समंदर में 


हिलोरें मार रही हैं आज़ादी की लहरें 

इक बयार चल पड़ी है हिमालय से 

रोक सके तो रोक ले 

मेरे लहू से सींची हैं तूने 

अपनी हसरतों की बंजर ज़मीन 

तेरे अहंकार का सूरज भी


कल बस ढलने वाला है 

कल भोर की पहली किरण 

करेगी स्नान मेरी आशाओं के झरनों में 

बंदिशों की जंजीरें तोड़कर 

फूंकने आ रहा हूँ में 

तेरी नफ़रत की लंका को।


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