कितना सरल है तेरा प्रेम
कितना सरल है तेरा प्रेम
रातों की ठंडी-ठंडी रातों में
आसमान में चमकते तारे की तरह
तेरा प्यार बनकर चमकता है
दिसम्बर की अंधेरी-अंधेरी रातों में
रोशनी बनकर मुझे राह दिखाता है
वीणा के तारों के संग संग
तेरा प्रेम भी मचलता है
उसकी धुन बहुत मधुर है
बहुत सहज, बहुत सुगम
शायद यही हमारे प्यार का संगम है
जाड़ों जी ठिठुरती रातों में
जब तुम्हारे जज़्बात
छलकते हैं
आकाश में चांद भी
शरमा कर नजरे झुका लेता है
प्रेम के सागर की गहराई में डूबकर
हमारा प्रेम पूर्ण होने को व्याकुल है
और मेरी अधूरी चाहतें भी जैसे
अपना नया किरदार लिखना चाहती है
नए साल की भोर बनकर

