एक हाथ में बोल एक हाथ में थैला चल पड़ा हूँ खोजने को मैं रास्ता एक हाथ में बोल एक हाथ में थैला चल पड़ा हूँ खोजने को मैं रास्ता
जाने कितनी सीता होंगी जाने कितने स्वप्न जलेंगे जाने कितनी सीता होंगी जाने कितने स्वप्न जलेंगे
जो तैर कर नदी - दूरी की आने को व्याकुल पास तुम्हारे। जो तैर कर नदी - दूरी की आने को व्याकुल पास तुम्हारे।
काले मेघों का गर्जन सुनकर, सकल धरा फिर काँपी थर थर। काले मेघों का गर्जन सुनकर, सकल धरा फिर काँपी थर थर।
चाहे अपयश भी हो मेरा व्याकुल बहुत था उनका मन। चाहे अपयश भी हो मेरा व्याकुल बहुत था उनका मन।
जीना हो या मर जाना हो मुझे नहीं लौट के वापस आना है नहीं लौट के वापस आना है। जीना हो या मर जाना हो मुझे नहीं लौट के वापस आना है नहीं लौट के वापस आना है...