नाकामियों पे अपने - बलि हमें चढ़ाते हो पैदाइशी अपाहिज - क्यों बनाके भेजते हो। नाकामियों पे अपने - बलि हमें चढ़ाते हो पैदाइशी अपाहिज - क्यों बनाके भेजते हो।
आँखों में बढ़ आई लाली का सड़कों पे बिखरी खून में तब्दिली का सिलसिला एक प्रलय के जल्द ही आने का पता दे... आँखों में बढ़ आई लाली का सड़कों पे बिखरी खून में तब्दिली का सिलसिला एक प्रलय के ज...
जब मानव न मानेगा काटेगा हरे भरे जंगलों को अपने ही हाथों से उजाड़ेगा बगिया अपने घर आँगन की। जब मानव न मानेगा काटेगा हरे भरे जंगलों को अपने ही हाथों से उजाड़ेगा बगिया अप...
ज़िन्दगी का सफर फिर भी जारी है, नियति के आगे जीने का फ़लसफ़ा भारी है। ज़िन्दगी का सफर फिर भी जारी है, नियति के आगे जीने का फ़लसफ़ा भारी है।
प्रस्थान तन जब भी करे उत्थान मन का हो अभी। प्रस्थान तन जब भी करे उत्थान मन का हो अभी।
काले मेघों का गर्जन सुनकर, सकल धरा फिर काँपी थर थर। काले मेघों का गर्जन सुनकर, सकल धरा फिर काँपी थर थर।