काश यदि आज तुम
काश यदि आज तुम
काश यदि आज तुम मेरे साथ दरिया किनारे बैठ सको
और मेरे साथ कुछ पल बैठकर
अपने दिल की किताब के पन्नों को खोल सको
तो मुझे लगता है कि आकाश में तैरते घुंघराले बादल
मुझे धुंधले प्रतीत नहीं होंगे
और इतने मनचले भी नहीं कि
नदी की कल कल करती लहरें किनारों से कोई शिकायत करें
काश आज तुम यमुना के तीरे मेरे साथ बैठ सको
और कदम की छांव में बैठकर
पुराने दिनों की तरह मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ सको,
<p>तो मुझे लगता है कि तुम्हारे हाथों का मखमली स्पर्श से
मेरे अंदर का सोया हुआ प्यार जाग उठेगा
और मैं तुम्हारे अधरों का चुंबन लेते हुए
तुम्हारे दिल की धड़कन बनकर तुम्हारी ठंडी सांसों में समा जाऊंगा
काश यदि तुम आज मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सको,
और मुझे बताओ कि मेरे प्यार ने तुम्हें जीत लिया है,
तो मुझे लगता है कि तब मेरे सभी दुखद विचार दूर हो जायेंगे,
और मैं लहरों के क्रंदन का जवाब
मुस्कुरा कर दे सकता हूं