चलो आगे बढ़ चलें
चलो आगे बढ़ चलें
काश ऐसा होता, काश वैसा होता
काश तुम ना होती तो क्या होता
काश मैं ना होता तो क्या होता
शायद इसी काश के इर्द-गिर्द
मानो जिंदगी घूम रही है हमारी
काश तुमने मुझे समझा होता
और मैंने तुमको समझा होता
तो शायद “काश” की यह जिंदगी
आज जिस मोड़ पर खड़ी है वहां ना होती
काश कुछ फैसले वक्त पर ले लिए होते
तो आज जिस मोड़ पर खड़े हैं वहां ना होते
गुजरे वक्त की रवानी पर
व्यर्थ आंसू बहाने से अब क्या होगा
जो अपना था ही नहीं कभी
व्यर्थ उस पर हक जमाने से क्या होगा
चलो एक फैसला लेते हैं आज हम दोनों
कुछ कदम तुम बढ़ाओ कुछ मैं बढ़ाता हूं
कुछ उड़ान तुम भरो कुछ मैं भरता हूं
अतीत के पन्ने जितनी बार खुलेंगे
जख्मों की तीव्रता उतनी बार बढ़ती जाएगी
सब कुछ लुटाकर खोने को बचा ही क्या है
और जो कुछ बचा भी है उसे समेट कर
क्यों ना हाथ एक दूजे का थाम कर आगे बढ़ चले