Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

4  

Taj Mohammad

Abstract Tragedy Action

अल्फाज़ ए ताज भाग -4

अल्फाज़ ए ताज भाग -4

10 mins
360


1.


मुद्दतों बाद एक जानी पहचानी आवाज़ आयी कानों में।

पलट कर जो देखा तो वह नज़र आया किसी गैर की बांहों में।।


2.


तुम्हारी यादों के सहारे कब तक हम यूँ यह जिंदगी काटेंगे।

तू तो वहां जी रहा है सुकून से हम क्या ऐसे ही मर जायेंगे।।


3.


जिंदगी का हिसाब तुमको ना समझ आएगा।

जब वक्त निकल जायेगा तब तू बड़ा पछतायेगा।।


4.


अपनी जिंदगी को तुम्हारे नाम कर रहा हूँ।

तुम्हारे वजूद को पाकर मैं गुमान कर रहा हूं।


5.


अपनी जिंदगी को तुम्हारे नाम कर रहा हूँ,

तुम्हारे वजूद को पाकर मैं गुमान कर रहा हूं।


ज्यादा डरना भी परेशानी का सबब बन जाता है,

लो हमारे रिश्ते को मैं खुल ए आम कर रहा हूं।।


6.


मदद है मदद को मदद की ही तरह रहने दो।

ले लिये है काफी अहसान तुम्हारे अब रहने दो।।


7.


दो पल का साथ चाहते हो तो मत करना यह रिश्ता।

ज़िंदगी पूरी गुजारने का ख्याल है हमारा।।


8.


वह नज़र ही क्या जिसमें अश्कों की नमी ना हो।

वह मोहब्बत ही क्या जो मुकम्मल को पा गयी हो।।


9.


हमारा कत्ल जो तुम कर रहे हो तो करना शौक से,

हमें तो मरने के बाद पता ना चल पाएगा।


पर एक अंदाज़ा है तुझसे मोहब्बत करने के बाद,

जिंदगी तुम भी सुकूँ से ना रह पायेगा।।


10.


यूँ सवालिया निशान ना लगा मेरे किरदार पर।


जा पढ़ ले जा के आज भी लिखे होंगे मेरी वफ़ा के किस्से हो चुके पुराने खंडहर की दरों दीवार पर।।


11.


तुम्हारे पास हर किसी का जवाब है।

तुमसे पूछना कोई भी सवाल बेकार है।।


12.


बड़ा गुमान है तुमको अपनी जानकारी पर,

मुब्तिला ना हो जाना कही इश्क की बीमारी पर।


धरी की धरी रह जायेगीं फिर ये गुमानियाँ,

गर मदहोश हो गए तुम कही इश्क ए खुमारी पर।।


13.


एक की आबरू का मोल है दूसरे की क्यों अनमोल है,

ये तो सरासर तुम्हारा गलत कौल है।


बेताब है मर जाने को इसमें खता ना कोई शम्मा की है,

परवाना तो देखो खुद ही मदहोश है।।


14.


देखो फिर से दुकानें खुल गयी है।

पर फूल बेचने वाली वो छोटी बच्ची ना दिखी है।

अब क्या सुनाए दास्तान गरीब की।

उसकी इज्ज़त यहां के वहशियों से ना बची है।।


15.


मुद्दतों बाद एक जानी पहचानी आवाज़ आयी कानों में।

पलट कर जो देखा तो वह नज़र आया किसी गैर की बांहों में।।


16.


बेटे को टिकट ना मिलने पर इस बार फिर से उन्होंने पार्टी बदल ली है।

उनको लगता है ऐसा करके उन्होंने साहबज़ादे की किस्मत बदल दी है।।


17.


ऐसे दर्दों को सीनों में ना सिला करते है।

यूँ हर रोज ही शराब को ना पिया करते है।।


18.


इक वह है कि हमेशा ही गिला करते है।

उनसे कह दो यूँ अजीजे दिल ना मिला करते है।।


19.


ना करो तुम हमको ऐसे रुखसत यूँ अपनी इन भीगी पलकों से।

देखना फिर नया ख्वाब बनकर आएंगे एक दिन  तुम्हारी नजरों में।।


20.


अब वहाँ भी कोई निशां रहे ना बाकी।

खुशियों भरी जिंदगी हमने थी जहाँ काटी।।


21.


देश का माहौल कैसा हो गया है।

हर तरफ हिन्दू मुस्लिम सा हो गया है।


22.


वह नज़र ही क्या जिसमें अश्कों की ना नमी हो।

वह मोहब्बत ही क्या जो मुकम्मल को जा मिली हो।।


23.


हम खुद में बेअक़ीदा हो चुके है तुमको अक़ीदे में ले कैसे।

इतनी तो तोहमतें लग गयी है अब एक और तोहमत ले कैसे।।


24.


एक तमन्ना है अपने माँ-बाप को हज पर भेजूं।

या इलाही कुछ काम दे दे थोड़े से पैसे इकट्ठे कर लूं।।


25. 


माना कि औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने।

पर खुद गिरता सम्भलता रहा किसी को गिराया नहीं मैंने।।


26.


सब ही जल रहे यूँ ऐसे हमारे मिलने से।

क्या मिल रहा है उन को ऐसे जलने में।।


27.


हर वक्त ही तुम हमसे लड़ते हो,

क्या चाहते हो जो ऐसा करते हो।

छोड़ो दो ये बे फालतू का गुस्सा,

हमें पता है तुम हम पर मरते हो।।


28.


इतने गुस्से में क्यों आप रहते हो,

कांटों में खिले गुलाब से दिखते हो।

हंस कर ज़िया करो अपनी ज़िंदगी,

सादगी में तो नूरे खुदा से लगते हो।।


29.


मौत है दिलरुबा यह जरूर आएगी,,

ज़िन्दगी का क्या भरोसा ये बस सताएगी!!

हर किसी से दूर कर ले गीले शिकवे,,

गर आयी मौत तो साथ लेकर ही जाएगी!!


30.


मैं चाह कर भी उसे छोड़ सकता नहीं।

वो मुझ में बसा है बुरी आदत की तरह।।


31.


ना पूंछ हाल उसकी ज़िंदगी का यूँ किसी और से।

जब दीवाना खुद ही सबको हँस-हँस कर बता रहा है।।

अब सादगी को कोई दुनिया में अदब में लेता नहीं।

सीधा-सादा होने पर हर कोई ही उसको सता रहा है।।


32.


कुछ पैगाम लेकर आया हूँ,

मैं तुम्हारे गांव होकर आया हूँ!!!


तुम्हारी माँ मिली थी हमको,

तुमको उसके साथ जी कर आया हूँ!!!


33.


कुछ पैगाम लेकर आया हूँ।

तुम्हारे गांव होकर आया हूँ।।


34.


यूँ खुद को निकम्मा बना डाला है।

हमने भी जिंदगी में इश्क कर डाला है।।


35.


जब था तब भी रुलाता था,,,

अब नहीं है तो भी रुला रहा है।।

ज़िन्दगी से तो चला गया है,,,

मगर वो यादों से ना जा रहा है।।


36.


वह देखो ज़िन्दगी जा रही है बनकर मय्यत किसी की।

बड़ी परेशानी से गुज़री थी अब सुकूँ से तुर्बत में रहेगी।


37.


तुमने दिल लेकर ना दिल दिया है,

यूँ तुमने भी की है हमसे बेमानी।।

सब शर्तें हमको मंजूर थी तुम्हारी,

पर तूने हमारी ना एक भी मानी।।


38.


चलो उनसे गीले शिकवे मिटाते है।

फिर शायद यह ज़िन्दगी रहे ना रहे।।

इसका ना है यूँ भरोसा जरा सा भी।

जाने कल दोनों में कोई रहे ना रहे।।


39.


चलो माँ से मिलकर आते है।

कुछ अपने ज़ख्म भरकर आते है।।


40.


कुछ कुछ वह मुझे खुदा सा लगता है।

मेरी हर जरूरत को वह पूरा करता है।।


41.


सब में अब आम हो गयी है।

मोहब्बत यूँ बदनाम हो गयी है।।


42.


देखो पैदा हो गया है काफ़िर के घर में मुसलमाँ।

इसी बात से वो रहता है हमेशा खुद में परेशाँ।।


43.


यूँ किस्मत सभी पर मेहरबां नहीं होती।

तुम्हारी तरह हर किसी की माँ नहीं होती।।


44.


चलो उसके लिए कुछ दुआ की जाए।

शायद यूँ ही उसको शिफ़ा मिल जाए।।


45.


हमको तुम अपनी दुआओं में याद रखना।

गर गलती हो गयी हो तो हमें माफ करना।।


46.


हर किसी को बेवजह यूँ हिरासत में ना रखते हैं।

मुल्क में ऐसी रंजिश की सियासत ना करते हैं।।


47.


किस-किस से तुम छुपाओगे यूँ अपने गुनाह।

गनीमत इसी में है कि मान लो जो तुमने है किया।।


48.


इश्क है हम दोनों में,

पर हमारे दिल ना मिलते है।।


जज्बात है हम दोनों में,

पर कोई ख्याल ना मिलते है।।

 

कहाँ पूछे ये सवाल,

हमें कहीं जवाब ना मिलते है।।



49.


अगर तुम समझ लो,

तो मोहब्बत की निशानी है।

वरना मेरी नज़रों में,

सब जैसा एक सा पानी है।।


50.


सुना है तुम भी लिखते हो,,,

हमारी तरह ज़िन्दगी का हिसाब रखते हो।।


51.


चलो हमारी भी ज़िन्दगी इश्क में बर्बाद हो गयी है।

आशिकों की फ़ेहरिस्त में हस्ती हमारी भी शुमार हो गयी है।।


52.


चलो अब हम विदा लेते है,,,

एक दूसरे की दुआ लेते है।

देखते है तुम कब तक याद रखोगे हमको,,,

सुना है दुनिया गोल हैं लोग मिला करते है।।


53.


सबकुछ भूल भाल कर हम फिर से तेरी ज़िन्दगी में आये थे।

हमें तो ज़रा सा गुमां ना था तुम यूँ गिन-गिन कर बदले लोगे।।


54.


जब याद करता हूँ उसको दिल गम से गुज़र जाता है।

बस यूँ ही वो बेवफा हमको कभी-कभी नज़र आता है।।


55.


तुम्हारे खयालों से अलग हमारे ख्याल है,,,

देखो दोनों के जज्बात ना मिलते है।


यूँ तो सच्चा इश्क हम दोनों ही करते है,,,

पर देखो हमारे अंदाज़ ना मिलते है।।


56.


ज़िन्दगी जीने में ना तकदीर देखते है।

जैसी भी हो मुनासिब इसको वैसे ही जीते है।।


57.


देखो कितना अच्छा तुमने सौदा कर लिया है,,,

यतीमों को खाना खिलाकर गुनाहों को अपने कम कर लिया है।


कहाँ इतने कम भर में ऐसी दुआएं मिलती है,,,

जैसी दुआओं से झोला तुमने अपना पूरा का पूरा भर लिया है।।


58.


गुनाहों की मेरे माफी मिल गयी।

माँ की दुआ फिर काम कर गयी।।


59.


वह खुशियां बांटता है।

उसको पता है गम तो सभी के पास है।।


60.


उसको बता दो धूल की क्या औकात है।

जब छूटेगा हवा का साथ आयेगी नीचे ही।।


61.


यह दौर चल रहा है सबको धोखा देना का।

शायद तुम भी मुकर जाओ मेरे इश्क से।।


62.


डर लगता हैं कहीं तुम भी ना बिगड़ जाओ।

वक्त जैसे आकर जिंदगी में ना गुजर जाओ।।


63.


सुना हैं बड़ा दर्द हैं तुम्हारे सीने के अंदर।

अपना समझकर कुछ हमें भी बताओ।।


64.


उनकी यादों में हम करवटें ही बदलते रहे है।

आज बीती सारी रात हम ऐसे ही जागते रहे है।।


सो रहा है जालिम हमको जगाकर सुकूं से।

वह सोते रहे राहते नींद हम यही सोचते रहे है।।


65.


तुमसे तो अच्छे अल्फाज़ तुम्हारे है।

जो झूठ ही सही पर लगते प्यारे है।।


66.


मैं तो चला था जानिबे मंजिल तन्हा ही।

पर सफर में लोग मिलते गए यूं बन गया कारवां भी।।


67.


मोहब्बत करने दो।

थोड़ा हंसने रोने दो।।


समझ आ जायेगी।

उन्हें इश्क करने दो।।


68.


मोहब्बत का फलसफा भी अजीब होता है।

ताउम्र पहला इश्क ही दिल के करीब होता है।।


जिससे करो मुहब्बत वही रफीक होता है।

चाहने वाला ही अक्सर जां ने रकीब होता है।।


69.


कभी शुमार होता था मेरा अमीरों में।

ऐसी शख्सियत थी मेरी जानने वालों में।।


जिंदगी का ना कोई भरोसा करना।

शामिल कब करवा दे यह गरीब वालों में।।


70.


इक आह सी निकली उन बुजुर्गों से।

आसमां भी गुस्से में आया लगता है।।


यूं देखा गरीब की बद्दुआ का असर।

खुदा इनका फौरन इंसाफ़ करता है।।


71.


रहम करना खुदा हम पर।

जिंदगी काफिर बन रही है।।


मुझ अकेले की बात नहीं।

दूसरों की भी बदल रही है।।


72.


सेहरा में समन्दर को देखा है।

रकीबों में रहबर को देखा है।।


शुक्र है तेरा मेरे रहमते खुदा।

हमने उनमें खुद को देखा है।।


73.


सच का झूठ, झूठ का सच हो रहा है।

कीमत दो साहब आदमी बिक रहा है।।


जहां में इंसा महशर से ना डर रहा है।

देखो ख़ुद को सबका खुदा कह रहा है।।


74.


यादें इनसानों को हंसाती और रुलाती है।

यह यादें ही जो जीने मरने की वजह बन जाती हैं।।


बीते वक्त का हमको एहसास कराती हैं।

ना चाहे तो भी यादें आ करके आंखें भर जाती हैं।।


75.


जब कोई हमसा मिलें तो हमें बताना।

बेकार का सबसे तुम्हारा मिलना मिलाना है।।


सुकून ना पाओगे जो हमसे मिला था।

सच्ची मोहब्बत का अब ना रहा ये जमाना है।।


76.


ख़ामोशी भी दिले यार का दिया तोहफ़ा होती है।

सजा जैसी ज़िंदगी लगती है गर बात ना होती है।।


77.


चांदनी के साए में हम यूं ही पीकर बैठे है।

हर वक्त ना जानें क्यों तेरी ही याद करते है।।


यूं शोर ए मयखाने में ना चढ़ती हमको है।

इसलिए कमर को देख कर छत पर पीते है।।


78.


बड़ा गुरूर था चांद को अपनी खूबसूरती पर।

देख कर मेरे दिलबर ए हुस्न को वो भी छुप गया है।।


क्या बताए सूरत ओ सीरत अपनें महबूब की।

खुदा ए फरिश्ता भी उसका दीवाना खुद हो गया है।।


79.


किसी ने पूछा हमसे खुदा को देखा है।

हमने कहा चलो हमारे घर पे मां को दिखाते है।


देखकर मां को उसे समझ आ गया है।

दुनिया में खुदा, मां जैसे ही बन करके आते हैं।। 


80.


अपनों से परेशान होकर वह दूर बस गया है।

कभी कभी गैरों से मोहब्बत दिलों को जोड़ देती हैं।।


पता है चार दिन की जिन्दगी लेकर आए हैं।

इंसानों ने सब पाने की अजब सी होड़ मचा रखी है।।


क्या करें तेज तर्रार इंसा भी कम बोलता है।

उधार उतारते उतारते जिन्दगी कमजोर बना देती है।।


81.


चलो गमों से प्यार कर लेते है।

वही ही अक्सर हमारे अपनो से होते है।।


मोहब्बत हमेशा ही रुलाती है।

जानें क्यूं लोग इसमें सपने सजा लेते है।।


82.


हर गम को हंसना सिखाते हैं।

चलो जिंदगी को जीना सिखाते हैं।।


कहां मिलेंगी फिर ये दोबारा।

सभी के दिलों को अपना बनाते है।।


83.


तुमको क्या पता ये इश्क क्या बला होता है।

आशिकों के लिऐ इतना जानो खुदा होता है।।


हाल सारे आशिको का सबसे जुदा होता है।

हमसे तो ना होगा बहुतों को बिगड़ते देखा है।।


84.


खुदा वाले कुछ तो ख़ास होते है।

सब्र के सागर उनके पास होते है।।


कितनी भी मुश्किल जिन्दगी हो।

हर हाल में बड़े खुशहाल होते है।।


85

हमने की शराफत गुमनाम हो गए।

उन्होंने की बगावत मशहूरे आवाम हो गए।।


यहीं होता है आज कल जमाने में।

जिसने भी सब्र किया वह बरबाद हो गए।।


86.


जमाना हो गया है बोलने वालों का।

नाम हो गया है राज खोलने वालों का।।


हम तो चुप रहें बस इज्जते खातिर।

बन गया मुकद्दर गुनाह करने वालों का।।


87.


तुमने गुरबत की जिंदगी कभी जी है।

बड़े अरमान मारने पड़ते हैं गरीब को।।


किस्मत से गर एक पूरा  हो जाता है।

बड़ा शुक्र देता है खुदा ए रफीक को।।



88.


तुम्हारा दिया गुलाब आज भी रखा है हो चुकी किताब पुरानी में।

यही तो बस ख़ास बचा है हमारे पास तुम्हारी इश्क ए निशानी में।।


89.


दीवानगी पर जोर किसका है।

दुनिया में हर कोई ही इससे हारा है।।


शरीक होता है जिस्मों जां पूरा।

पर इश्क में बदनाम दिल बेचारा है।।


90.


देखो रुसवाई तो इश्क में मिलेगी।

इतना मानकर तुम पहले से ही चलना।।


मोहब्बत है तो दिल टूटेगा जरूर।

वक्त ए तन्हाई में होगा ना कोई अपना।।



91.


उनका हंसना क्या हुआ महफिल में जान आ गई।

हर नजर उठ गई इतनी मीठी आवाज कहां से आ गई।।


जिस जिस ने देखा चेहरा का उनका हुस्ने जमाल।

सबको यूं लगा जैसे हूरों की मल्लिका जन्नत से आ गई।।


92.


तुमने जिस पल में यूं गैर बना दिया।

हमने उसी पल में ही सब गवां दिया।।


अब रहा ना कुछ मेरे पास जीने को।

हमने अपनी हश्रे मौत को बुला लिया।।


93.


उन्होंने हमसे की बेवफाई कोई बात नही।

वह हो गए किसी और के कोई बात नही।।


हम उनकी नफरत को भी इश्क करते है।

मुकद्दर में ना थे वह हमारे कोई बात नही।।



94.


कहा मुनासिब नहीं इश्क करना।

मेरा जमाने में इज्जते परिवार है।।


हर किसी का होता परिवार है।

बस उनको ही जैसे बड़ा ख्याल है।।



95.


अब यूं भी ना गैर बनो जैसे हमें जानते नहीं।

बड़ा वक्त गुजारा है साथ तुम पहचानते नहीं।।


इतना ख्याल रखो जरूरत पड़े तो आ जाए।

कहीं हम ना कह दे हम तुम्हें पहचानते नहीं।।



96.


उनके इतना भर कहने से हम पत्थर से हो गए कि हम तुम्हें जानते नहीं।

अब अकीदा ना रहा हमको यूं पत्थरों पर हम इनको खुदा मानते नहीं।।



97.


दिले मोहब्बत, आबे समन्दर की गहराई कोई क्या जानें।

बड़े-बड़े नजूमी, आलिम ना जान पाए वो भी है अंजाने।।


98.


कोई तुमको यूं ना चाहेगा जैसा हमने चाहा है।

यूं काफ़िर बन गए है तुमको खुदा जो माना है।।



99.


जालिम जिंदगी तू खूब सितम ढाले मुझ पर।

हम भी तुझे सहने की तमन्ना हरदम रखते है।।


तुझको हम भी बन करके एक दिन दिखाएंगे।

क्योंकि  हम भी दुआ ए मां में हरदम रहते है।।


100.


जोर ना हैं मेरा जीने में ऐ जिंदगी यूं तुझ पर।

हम उफ़ ना करेंगे बरसाती रहें गम तू मुझ पर।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract