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Taj Mohammad

Tragedy

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Taj Mohammad

Tragedy

सलीका न आया

सलीका न आया

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ज़िन्दगी को जीनें का हमें तरीका न आया।

पढ़े तो हम खूब ही पर हमें सलीका न आया।।1।।


क्या क्या बयां करें हम तुम्हें मां की खूबियां।

मां के जैसा हमने यहां कोई मसीहा न पाया।।2।।


बड़े ही परेशा होकर घूमे हम सेहरा सेहरा।

पर तिश्नगी में हमने आब का दरिया न पाया।।3।।


चले तो हम खूब काफिलों में सबके साथ।

पर सफरे जिंदगी में साथ किसी का न पाया।।4।।


परेशानी के सबब में मैंने इबादत तो खूब की।

पर खुदाओं को पसंद मेरा अकीदा न आया।।5।।


चढ़े जिसका हर ही फूल यहां दरगाहों पर।

ऐसा फूलों का हमनें कोई बागीचा न पाया।।6।।


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