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Taj Mohammad

Abstract Romance Action

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Taj Mohammad

Abstract Romance Action

खुद की तलाश में

खुद की तलाश में

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मैं खुद की तलाश में कब से भटक रहा हूं।

वक्त के साथ जिंदगी में बस गुजर कर रहा हूं।।


कोई तो मोड़ आए जो हो जानिबे मंजिल।

इसी इंतजार में हर तरफ नज़र कर रहा हूं।।


सब कुछ है पास फिर भी जिंदगी उदास है।

यूं लगे पिंजड़े में परिंदे सा बशर कर रहा हूं।।


कब तक निभाऊं लालच के मैं रिश्ते नाते। 

खराब अपना खुद ही देखो हशर कर रहा हूं।।


दुनियां के काम करके तिजारत कर रहा हूं।

दिल नही भरता बस अपनी जेब भर रहा हूं।।


क्या होगा हाल हश्रे कयामत डरता हूं बड़ा।

क्या दूंगा जवाब जब तब गुनाह कर रहा हूं।।


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