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Taj Mohammad

Abstract Action Others

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Taj Mohammad

Abstract Action Others

वीरानियां बहुत हैं।

वीरानियां बहुत हैं।

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यूं तो शहर में वीरानियां बहुत है।

खामोश इंसानों की परछाइयां बहुत है।।


हंसकर जी लेते हम भी जिंदगी।

पर इस जिंदगी में परेशानियां बहुत है।।


करने को कर लेते हैं दिल्लगी।

पर इस आशिकी में दुश्वारियां बहुत है।।


कैसे खुश रखते हम सबको ही।

रिश्तों को निभाने में बर्बादिया बहुत है।।


बड़ा ही सुकून है कब्रिस्तान में।

मौत के सन्नाटे है खामोशियां बहुत है।।


सबको खुश रखते तो मिट जाते।

अच्छा बनने में यहां बुराइयां बहुत है।।



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